
सर्पीले मोड़ों वाली केशकाल घाटी में प्रवेश के साथ ही धड़कने बढ़ जाते हैं और दिल ऊपर - नीचे होने लगता है। यह घाटी करीब 05 किमी लंबी है और एन एच 30 पर कोण्डागांव - कांकेर के बीच स्थित है। पहले तो यहां पहाड़ और घने जंगल के अलावा कुछ था ही नहीं। यहां 1879 में सड़क निर्माण कार्य शुरू हुआ था जिसे पूरा होते - होते करीब 11वर्ष लग गए। अब रायपुर से केशकाल घाटी और टाटामारी की सफर पर निकलें तो 80% सड़कें अच्छी हैं। लेकिन 12 मोड़ निश्चय ही दिल हिला कर रख देते हैं इन्हें स्थानीय तौर पर 'बारा भांवर' (12 मोड़) के नाम से जाना जाता है। टाटामारी के आस पास घूमने की ढेर सारी मनमोहक स्थान हैं। जिसके आस पास चित्रकोट और तीरथगढ़ जैसे प्रसिद्ध झरनों के अलावा बीसियों झरने देखने का अवसर मिलते है। इसके अलावा भंगाराम मंदिर,सुरडोंगढ़ झील,महालक्ष्मी शक्ति पीठ, कांकेर पैलेस,अनेक गुफाएं उनमें पुरातत्व ऐतिहासिक चित्रों के साथ स्थानीय खान पान और आदिवासी संस्कृति के साथ यादें सहेजने के लिए उनके बनाए कलात्मक हस्त निर्मित पीस भी खरीदी कर सकते हैं। केशकाल की टाटामारी को देख कर पर्यटक शिमला और मसूरी को भी भूल जाएंगे।