बारिश में धान की बोरियों में अंकुरित हो कर सड़ रहा धान

बारिश में भीगी बोरियों में सड़ रहा धान, साढ़े 7 लाख   क्विंटल से अधिक धान का उठाव नहीं
बेमेतरा (छत्तीसगढ़ महिमा)। 24 अप्रैल 2024,
 रिकॉर्ड धान खरीदी होने के बाद अब समय पर उठाव नहीं होने से जिले के धान खरीदी केन्द्रों में अभी भी 7 लाख 50 हजार क्विंटल से अधिक धान पड़ा हुआ है। जिले के 20 धान खरीदी केन्द्रों में 3 हजार से लेकर 13 हजार क्विंटल धान का स्टॉक है। कई धान खरीदी केन्द्रों में बार - बार बारिश होने की वजह से धान सड़ रहा है। बारिश,फिर धूप फिर बारिश होने की वजह से धान की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। दूसरी तरफ प्रति क्विंटल 2 से 3 किलो सूखत आने लगा है। जिले में शत-प्रतिशत धान का उठाव होने पर ही नुकसान का सही आंकलन हो सकेगा पर करीब 8 से 10 हजार क्विंटल धान खराब होने की बात दबी जबान से कही जाने लगी है। धान खरीदी समाप्त होने के दो माह बाद भी जिले के 40 से अधिक धान खरीदी केन्द्रों में 7 लाख 50 हजार क्विंटल से अधिक धान का उठाव नहीं होने से स्टॉक रखा हुआ है। 60 दिन से अधिक समय से धान खरीदी केन्द्रों में रखा धान प्राकृतिक आपदा की वजह से सडऩे की स्थिति में पहुंच चुका है। बताया गया कि बारिश होने के बाद भीग चुके धान को पलटना पड़ता है, जिससे बोरी फटने की स्थिति में धान बेवजह खराब होता है। इस बार दो माह के दौरान तीन से चार बार धान को पलटा जा चुका है, जिससे भारी नुकसान पहुंचा है। नुकसान होने की स्थिति को देखते हुए समिति प्रबंधकों के माथे पर बल पडऩे लगा है। समिति प्रबंधक ने धान खरीदी पूरी होने के बाद से जिला कार्यालय पहुंच कर अधिकारियों से समस्या का निराकरण करने के लिए तीन से चार बार गुहार लगाई है। इसके बाद भी जिले में धान उठाव का कार्य धीमी गति से चल रहा है। अब भी 20 समितियों में 13 से 30 हजार क्विंटल से अधिक धान डंप है। वहीं दर्जनों समितियों में डिओ काटे जाने के बाद भी धान का उठाव नहीं हो पाया है। पहले ही समितियों में डंप धान का समय से उठाव नहीं हुआ है फिर सूखत और चूहा से धान की बर्बादी हो रही है। इस बीच बार - बार आसमानी आफत से नुकसान का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।

धान खरीदी केंद्रों से अभी तक नहीं किया गया पूर्ण उठाव

 जिले के 128 धान खरीदी केन्द्रों में से बेमेतरा,बीजा, लेजवारा,कन्हेरा,बांसा,हरदी,भिभौरी,अछोली,सुरहोली, लोलेसरा,पहंदा व मावलीभाठा,कुंरा सहित अनेकों केन्द्र में ही धान का पूर्ण उठाव हुआ है। 11 धान खरीदी केन्द्रों में 100 क्विंटल से कम का स्टॉक है। 32 धान खरीदी केन्द्रों में 142 से लेकर 987 क्विंटल का स्टॉक है। 59 धान खरीदी केन्द्रों में 1000 से लेकर 9878 क्विंटल का स्टॉक खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ है। 26 धान खरीदी केन्द्रों में 10378 से लेकर 30660 क्विंटल धान रखा हुआ है।

प्रति क्विंटल 1 से 2 किलो की कमी आने की आशंका

विशेष सूत्रों की माने तो,धान खरीदी के बाद से धान का वजन कम होता जा रहा है। रखे गए धान का जब - जब भार नापा जाता है, तो उसका वजन कम निकलता है। अनुमानित तौर पर प्रति क्विंटल के वजन में 1 से 2 किलोग्राम की कमी आने की जानकारी मिल रहा है।

एक पैर कलेक्टोरेट में तो  दूसरा पैर धान खरीदी केन्द्र में 

हालत को देखते हुए प्रभारियों ने अपने संगठन के माध्यम से एक माह के दौरान 4 बार अधिकारियों के यहां चक्कर लगा चुके हैं। हालत को बयां करते हुए प्रभावितों ने बताया कि बारिश होने के बाद उनका एक पैर कलेक्टोरेट के अंदर होता है तो दूसरा पैर धान खरीदी केन्द्र में होता है। यानी दोनों जगहों पर लगातार भाग - दौड़ कर रहे हैं,जिससे धान का उठाव हो सके। धान खरीदी के दौरान जीरो शॉर्टेज का टारगेट दिया जाता है। यानी खरीदे गए पूरे धान का उठाव करना है। इस बीच कमी आने की स्थिति में नुकसान की भरपाई के लिए प्रबंधक पर ठीकरा फोड़ा जा सकता है।

कितना नुकसान,अभी नहीं बता सकते:जिला नोडल अधिकारी 

जिला नोडल अधिकारी आर.के.वारे ने कहा कि पूरे धान का उठाव अभी नहीं हो पाया है। समितियों में अभी भी 7 लाख क्विंटल से अधिक धान रखा हुआ है। नुकसान हुआ है पर कितना ये अभी नहीं बता सकते। यह कहना हैं जिला नोडल अधिकारी का।

बड़ी दुर्भाग्य की बात हैं कि खाद्य मंत्री के जिले की यह हाल हैं तो छत्तीसगढ़ अन्य जिलों की क्या दूरदर्शाता हो रही होंगी।