
सक्ती (छत्तीसगढ़ महिमा)। 24 अप्रैल 2024,
शादी तोड़वाने से आक्रोशित प्रेमी द्वारा अपने दोस्त के साथ मिल कर अपनी प्रेमिका की हत्या करने के मामले में प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश डा.ममता भेजवानी ने प्रेमी और उसके दोस्त को आजीवन कारावास और 25 हजार रूपये के अर्थदंड से दंडित किया। अभियोजन के अनुसार नगरदा थाना क्षेत्र के ग्राम बुढनपुर निवासी अजय सिंह कंवर का प्रेम संबंध गांव के ही सहोदरा के साथ पिछले 03 वर्षो से था। दोनों अलग - अलग कंवर समाज के थे,इसलिए उनकी शादी नहीं हो पा रहा था। वर्ष 2022 को अजय की शादी किसी दूसरी लड़की से तय हो गया था। उसकी प्रेमिका सहोदरा को यह नागवार गुजरा और उसने अपने प्रेमी की शादी तोड़वा दी।वह अजय से शादी करने के लिए जिद कर रही थी। इससे आक्रोशित अजय सिंह कंवर ने अपनी प्रेमिका की हत्या की योजना बनाई और 13 अप्रैल 2022 की रात लगभग 08 बजे उसने सहोदरा को बुढनपुर नाले के पास मिलने के लिए बुलाया। वहां पहले से अजय सिंह और उसके साथी नारायण मैत्री मौजूद थे। सहोदरा जब वहां पहुंची तो दोनों ने मिलकर गला दबा कर उसकी हत्या कर दी। उसका शव छिपाने के लिए पहले से खोदे गए गड्ढे में शव को दफन कर दिया। सहोदरा के गायब होने पर घर के लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी और पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। विवेचना में उसके प्रेमी की शादी तय होने की बात सामने आई तो पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की। तब अजय सिंह ने अपने साथी के साथ मिल कर हत्या करने और शव को दफन करने की बात कही और उसके निशान देही पर कलमी भाटा जंगल में गड्ढे से शव बरामद किया गया। शव के कपड़े से मृतिका की पहचान हुई। आरोपितों ने बताया कि सहोदरा की हत्या करने के उपरांत उसके शव को पूर्व में खोदे हुए गड्ढे में दफनाया गया था। कुछ दिन बाद वहां से शव की बदबू आने पर पुन: अपने अपराध को छिपाने के लिए शव को वहां से निकाल कर दूसरे स्थान पर गड्ढा खोद कर दफनाया गया था। घटना में प्रयुक्त बोरी एवं मृतिका के मोबाइल को नहर में फेंक दिया गया तथा गड्ढा खोदने में उपयोग किये गये सब्बल व फावड़े को छिपा दिये थे। जिसे पुलिस ने जब्त किया और आरोपितों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। मामले की सुनवाई कर प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश डा.ममता भोजवानी ने आरोपित अजय सिंह कंवर और नारायण मैत्री को भादवि की धारा 302,34 के लिए आजीवन कारावास एवं 20 हजार रूपये अर्थदंड तथा धारा 201, 34 के लिए 5 वर्ष का कारावास एवं 5 हजार रूपये के अर्थदंड से दंडित किया है। अभियोजन की ओर से अपर लोक अभियोजक दुर्गा प्रसाद साहू ने पैरवी की।