राजस्व,खनिज,पर्यावरण तीनों विभागों के नांक के नीचे चल रहे अवैध रूप से ईटा भट्ठा का खेल

रायपुर (छत्तीसगढ़ महिमा)। 24 मई 2024,
जिले रायपुर के आरंग विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत मुनगी और नगर पंचायत चंदखुरी में छत्तीसगढ़ प्रदेश के बाहर से आएं पाडे लोग शासन प्रशासन के नियमों को ताक में रख कर अवैध ईट भट्ठा का संचालन कर रहें हैं।
भगवान श्रीराम के ननिहाल कौशिल्या माता मंदिर चंद्रखुरी में प्रदेश भर से दर्शानार्थी मुख्य मार्ग से आवागमन करते हैं। ईट भट्ठे की काले भूरे राखाड़ धूल मुख्य मार्ग और नगर में उडने से आम जनता राहगीरों को भारी परेशानियों की सामना करना पड़ रहा हैं।
अर्जुन पेड़ (कौहा) लकड़ी को भारी मात्रा में कटाई कर ईट पकाने किया जा रहा दुरूपयोग 
छत्तीसगढ़ में जिसे कौहा कहा जाता हैं उसे आयुर्वेद वनौषधि में अर्जुन छाल का पेड़ कहा जाता हैं।
उसे आयुर्वेद कार्य में उपयोग किया जाता हैं,उन्हें ईट पकाने भट्ठे में अधिक मात्रा में हरे भरे पेड़ को कटाई कर जलाऊ लकड़ी के रूप में दुरूपयोग किया जा रहा हैं।
 कई लाखों के ईट बना बेच कर राजस्व खनिज विभाग को लगा रहे लाखों से अधिक का चुना 
अवैध रूप से एक ही व्यक्ति अनेकों स्थलों में कई लाखों से अधिक ईट बना कर अपना लाखों रूपये से अधिक आमदनी करते आ रहे हैं।जिससे राजस्व और खनिज विभाग को कई लाखों रूपये की नुकसान पहुंचाया जा रहा हैं। प्रति ट्रेक्टर ईट 2 हजार नग 9 से 10 और 11 हजार में बिक्री किया जा रहा हैं और भट्ठे की जले मल्वे डस्ट को किसानों व्यवसायियों को गड्ढे में पाटने के लिए 3 से 5 हजार प्रति ट्रेक्टर में अलग से बेच कर दोगुने कमाई की जा रही हैं।
नहीं किसी के पास पर्यावरण प्रदूषण प्रमाण पत्र 
चंदखुरी में जितने भी ईट भट्ठे संचालन कर रहे, उनके पास पर्यावरण प्रदूषण प्रमाण पत्र नहीं हैं।
हरे भरे आयुर्वेद पौधे अर्जुन (कौहा),नीम,बबूल को काट कर ईट भट्ठे को पकाने लकड़ी की उपयोग कर पर्यावरण को क्षति पहुंचाई जा रही हैं। काले कोयले,भूसे,राखड़ डस्ट,पोल्ट्री फार्म की भूसे को ईट भट्ठे में उपयोग करने से आस पास में पर्यावरण को प्रदूषण पहुंच रहा हैं।
मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ में आ कर अवैध रूप से ईटा व्यवसाय कर रहे गाढ़ी कमाई 
मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ में आ कर कुम्हार (पाडे) लोग अनेक स्थानों पर अवैध ईट निर्माण कर मालामाल हो रहे हैं। यहां छत्तीसगढ़ के सरकारी और किराएं की भूमि पर ईट बना नियमों की पालन न कर राजस्व खनिज पर्यावरण को करोड़ों रूपये का नुकसान कर मिट्टी से खूब आमदनी ले रहे हैं। जिन लोगों के पास एक बिगा जमीन नहीं हैं,फिर भी सरकारी नजूल व किराएं की जमीन पर बेखौफ रूप से चला रहे ईटा-भट्ठा का धंधा और कमा रहे गाढ़ी काली कमाई।जिसमें फल फूल रहे हैं नाती पंति छंति।
पेसे से कुम्हार हैं कोई हमारा कुछ नहीं कर सकता
प्रेस जो छापे करें कहते ईट भट्ठे मालिक 
बाहर से आ कर छत्तीसगढ़ में ईट बना कर हो रहे मालामाल। प्रेस वालों को जानकारी देते कहते हैं कि, हम पेसे कुम्हार हैं मिट्टी से ईट बनाने की पूरे छूट हैं और कोई हमारा कुछ नहीं कर सकता। शासन प्रशासन की कोई भी नियम कायदे कुम्हार लोगों पर लागू नहीं होता।
प्रेस में जो छापना हैं छापो हम ऊपर तक पहुँच रखते हैं तभी मनमाने तरीके से एक ही व्यक्ति कई लाखों की अनेक स्थलों पर ईट भट्ठे चलाते हैं। हम छत्तीसगढ़ में 15 से 20 वर्ष से आ कर धड़ल्ले से ईट बना रहे हैं आज तक कोई हमारा कुछ नहीं कर सका। 
राजस्व,खनिज,पर्यावरण विभाग की नियम कानून कायदे,कभी आते हमारे पाले में। सबको पता हैं हमारे कार्य करने के बारे में,कितने आएं और चले गए हम ईट बनाने में लगे रहे वे हाथ मलते चले गए।
ये कहना हैं जगदीश प्रजापति,जग्गू प्रजापति,गणेश प्रजापति,रामाधिन प्रजापति,बैधनाथ प्रजापति ईट भट्ठे मालिक का।
राजस्व,खनिज,पर्यावरण तीनों विभागों के नांक के नीचे चल रहे अवैध रूप से ईटा भट्ठा का खेल 
 राजस्व,खनिज,पर्यावरण तीनों विभागों के नांक के नीचे 
हो रहे अवैध रूप से ईट भट्ठे संचालन,जिस पर कड़ी कार्यवाही करने के बजाय जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी गण आँख मूंद कर बैठी हुई हैं।
जिनका नाजायज फायदा मध्यप्रदेश से आए प्रजापति पाडे लोग धड़ल्ले से उठा रहे हैं और मालामाल हो रहे हैं।
जो कि शासन प्रशासन से अछूता नहीं हैं।