
नगर के सरदार वल्लभ भाई पटेल उद्यान के सौंदर्यकरण के तरफ ध्यान नहीं दिए जाने से उजाड़ होता जा रहा है। जिससे यहां की रौनक गायब हो रहा है। झूले टूटे पड़े हैं और पेड़ पौधे मुरझा गए हैं। कई जगह पर फुटपाथ धंस गई है। पेड़ों के नीचे बनाए गए अधिकतर चबूतरों के टाइल्स टूट कर गिर चुके हैं। खंभों में लगे अधिकांश बिजली खराब हो चुके हैं। जिसके चलते शाम होते ही यहां अंधेरा छा जाता है। हालांकि नगर पालिका के द्वारा पटेल उद्यान के सौंदर्यकरण के लिए 50 लाख रूपये स्वीकृत किया गया है मगर साल भर बाद भी काम शुरू नहीं हो सका है। जिला मुख्यालय में हाईस्कूल मैदान के सामने स्थित सरदार पटेल बालोद्यान अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। मगर इसकी बदहाली नगर सरकार को नजर नहीं आ रहा है तभी शहर के बाकी उद्यानों को संवारने के लिए जहां लाखों रूपये खर्च किए जा रहे हैं। मगर पटेल उद्यान को उसकी बदहाली पर ही छोड़ दिया गया है। नगर सरकार का पूरा ध्यान केवल बीडीएम गार्डन को ही संवारने में रहा है। जबकि पटेल उद्यान की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बीडीएम गार्डन का कई बार कायाकल्प किया जा चुका है। जिस तरह बीडीएम गार्डन और तिवारी बालोद्यान का कायाकल्प कराया गया है वह बेहतर प्रयास है और शहर वासियों के लिए अच्छा है मगर एक को संवारने के चक्कर में अन्य उद्यानों को नजर अंदाज किया जा रहा है। चार साल पहले जब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस उद्यान परिसर में सरदार पटेल की प्रतिमा का अनावरण किया था तब लोगों को ऐसा लगा था कि अब इस उद्यान की तस्वीर बदलेगी और सुविधाओं का विस्तार होगा मगर नगर पालिका के द्वारा उद्यान के सौंदर्यीकरण की तरफ ध्यान नहीं दिए जाने से अब उजाड़ होता जा रहा है और यहां की रौनक गायब हो रहे है। सरदार पटेल की पुरानी प्रतिमा धूल खा रही है और उनके नाम पर बना उद्यान भी उजड़ गया है।
फौव्वारा और वाटर फाल सालों से पड़ा हैं बंद
पटेल बालोद्यान को जब बनाया गया तो यहां की सुंदरता देखते ही बनता था। यहां लगाए गए वाटर फाल और रंग बिरंगे बिजली और फौव्वारा इस उद्यान की सुंदरता पर चार चांद लगाते थे। शहर वासियों के घूमने फिरने के लिए पटेल उद्यान शहर का पसंदीदा स्थान था मगर समय के साथ इसकी सुंदरता पर ग्रहण लगता गया। वाटर फाल और रंग - बिरंगे बिजली गायब हो गए और फौव्वारों की फुहारें बंद हो गई। बीच - बीच में फौव्वारा और वाटर फाल को शुरु कराने जरुर मेंटनेंस के नाम पर लीपापोती हुई मगर चंद दिनों में ही हालात पहले जैसे ही हो गए। फौव्वारा और वाटर पुल की सुंदरता देखना लोगों के लिए गुजरे जमाने की बात हो चुके है।