नफरत, भय और चींखो की पुकार

(गोपाल प्रसाद धीवर,सरपंच ग्राम पंचायत गोढ़ी)
रायपुर (छत्तीसगढ़ महिमा)। 23 अप्रैल 2024,
शास्त्र कहते है कि,ईश्वरोंसर्वभूतानाम,अर्थात जल थल नभ जीवों,स्थानों और वस्तुएं आदि सभी भूतो में,एक ही ईश्वर का वास है।इसलिए ईश्वर सबकों प्रेम, भाईचारा, दया,करुणा,क्षमा,धैर्य,शुद्धि के साथ मैत्रीपूर्ण वातावरण में वसुधा कुटुम्बकम को यथार्थ में जीने की और आध्यात्मिक तेज की गुणों को विकसित करने की संदेश देते हैं।फिर ईश्वरवाद के रास्ते चलने की दुहाई देने वाले सत्ताधारी व्यक्तियों ? इतनी ईश्वर और धर्म विरोधी बातें क्यों कर रहें है,विपक्ष के बिना लोकतंत्र को परिभाषित नहीं किया जा सकता फिर भी पक्ष में बैठें विपक्ष मुक्त साम्राज्य की परिकल्पना क्यों कर रहें है।यह एक बहुत ही गंभीर विषय है कि,विपक्षियों पर प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री तथा सत्ताधारी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के अभिभाषण में इतनी नफ़रत क्यों है।
फिर तो ये लोग ईश्वरोंसर्वभूतानाम का अर्थ ही नहीं समझते,तो फिर क्या ये लोग धर्म के नाम पर देश की भोली-भाली जनता को ठगने के लिए मर्यादा पुरसोत्तम राम के नाम को सहारा बना कर अपना रोटी सेकने में लगे हुए है,तो क्या सियासत पाने के लिए तथा चुनाव जीतने के लिए सत्ताधारी राम को ही धोखा देने में तुले हुए हैं ? 
   निश्चित ही सत्ताधारी लोगों को स्वार्थ और महत्वाकांक्षा से भयभीत होना पड़ रहा है।इसीलिए ईडी,सी.बी.आई, आई.टी.तथा ई.सी.जैसे बेदाग छवि वाले संस्था का सहारा लेकर विपक्षीय नेताओं को जेल की सलाखों पर डालते जा रहें है।दुराशासन से सत्ताधारी की कलई खुल रही है,इसी वजह से सत्तासीन लोंगो द्वारा जनसाधारण के समक्ष मुद्दे की बात करने से भयभीत होते नजर आ रही है।किसी भी राज्य सरकार को लोकहित में पालिसी सृजित करने की संवैधानिक अधिकार है,और सत्तासीन शराब नीति बनाने वाली दिल्ली सरकार को ई.डी.से औपचारिक दस्तावेज बनवाकर अस्थिर कर दिया और बंदीगृह में अनिरुद्ध करवा दिया गया है।
भय
क्या कोई संकीर्णताओं के आधार पर इस महान भारत को विकसित बना सकता है।कदापि नहीं,सत्ता सीन आज आम चुनाव में सनातन की राग अलाप रही है पहले की चुनाओं में सत्ताधारी द्वारा धर्म और जाति के नाम पर राजनीति करते थे।और अब 2024 में एक नया सनातन नामक शत्र ला दिया है।सनातन जिस पर अनावश्यक आख्यान की कोई आवश्यकता ही नहीं है। फिर भी देश की प्रधानमंत्री और उनकी पूरी समूह सनातन चीख निकाल रहें है। जबकि हमारा भारत देश पूरे विश्व में सृष्टि उद्भव की प्रथम स्थान पर है,और भौतिक सृजन में भी प्रथम स्थान विश्व गुरु भारत ही रहा है।इसलिए संपूर्ण भारत ही एक सनातन है जिसका अर्थ आदि, स्थिर, शास्वत अथवा प्रथम होता है, फिर प्रधानमंत्री भारत के अन्दर किसे द्वितीय, तृतीय, और चतुर्थ बताने की कोशिश कर रहे हैं।आखिर इसकी आवश्यकता ही क्या है।क्योंकि हम भारत के लोग और भारत की जर्रा-जर्रा ही सनातन है।यदि यह सत्य है,तो फिर क्या प्रधानमंत्री और सत्ताधारी लोग 2024 की आम चुनाव जीतने के लिए देश की भोली -भाली को गुमराह कर रही है?
बिल्कुल यही करने की कोशिश की जा रही है।
लेकिन ऐसा कदापि नहीं हो सकता क्योंकि जब जब भारत की एकता और अखंडता खतरे में आयी है, तब तब जन साधारण में एक जलजला आयी है,जो ऐसी नकारात्मक शक्तियों को शिकस्त कर दी है।आज सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में भारत की इस चुनाव की सिद्धांतिकता और उसकी नकारात्मकता और  सकारात्मता सोंच पर चर्चा  हो रही है।भारत की कार्य इच्छा को सकारात्मक पक्ष की ओर अग्रेसित करने के लिए एकजुट हो रहे हैं।बातें और भी है।फिर भी संपूर्ण भारत आज एक स्वर में यही कह रही है कि,संविधान बचाना है,और देश में शांति बहल करना है,सेवाजोहार।।