44 वर्ष बाद महासमुंद जिले के सबसे बड़ा सिंचाई परियोजना कोडार जलाशय का 03 गेट की मरम्मत

44 साल बाद कोडार जलाशय के तीनों गेट की मरम्मत
महासमुंद (छत्तीसगढ़ महिमा)। 26 अप्रैल 2024,
 महासमुंद जिले की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना कोडार जलाशय के तीनों गेट अब 44 साल बाद बदले जाएंगे। साथ ही यहां लगे रबर गेटर तथा कलपुर्जों को भी दुरूस्त किया जाएगा। कोडार जलाशय के निर्माण के बाद पहली बार बड़े पैमाने पर इसका मरम्मत किया जाएगा। इसके लिए लाइट मशीनरी विभाग कोडार ने 99 लाख रुपए का प्रस्ताव शासन को भेजा था,जिसे स्वीकृति मिल चुका है। इस वक्त टेंडर जारी करने की प्रक्रिया चल रहा है। कहा जा रहा है कि आचार संहिता के बाद गेट को बदलने की कवायद प्रारंभ हो जाएगा।  गर्मी में जब कोडार जलाशय में जल निम्न स्तर पर होगा, इस दौरान ही गेट को बदला जाएगा। पिछले 44 सालों में पानी और हवा के संपर्क में रहने की वजह से कोडार जलाशय के लौह गेटों में जंक लगने की वजह से यह अब जर्जर हो चुके हैं। गेट को सपोर्ट करने वाले रबर गेटर घीस चुके हैं। जिसके वजह से गेटों के अगल - बगल से पानी सीपेज होता रहता है। नया गेट लगाये जाने के बाद 7 फिसदी जल जो व्यर्थ बह जाता है,उसे रोका जा सकेगा। विशेष सूत्रों से मिले जानकारी अनुसार किसी भी जलाशय में लगाये जाने वाले हाइड्रोलिक गेट की अवसान अवधि 35 से 40 वर्ष के बीच होता है, लेकिन कोडार जलाशय में लगे गेट अपनी अवसान अवधि से 5 साल और ज्यादा उपयोग किये जा चुके हैं। यदि इसे नहीं बदला गया तो जर्जर गेट कभी भी जवाब दे सकता है। ऐसे में स्थिति विकट हो सकते है। खासतौर पर बारिश के दिनों में जब डेम में वॉटर प्रेशर (पानी का दबाव) अधिक रहता है। ऐसे में कभी भी यह गेट के कमजोर भाग को तोड क़र पानी बह सकता है। फलस्वरूप अब इसे बदला जाना आवश्यक हो चुका था। पूर्व जायजा भी लिया जा चुका गेटों को बदलने के बाद पुन: नए गेटों को 35.40 साल तक देखने की आवश्यकता नहीं पड़ेगा। यानी इसकी अवसान तिथि आगे बढ़ जायेगा।
 सिंचाई विभाग के मानचित्र कार एम.एल.ध्रुव ने बताया कोडार जलाशय की सारगर्भित जानकारी 
  सिंचाई विभाग के मानचित्र कार एम.एल. ध्रुव कहते हैं कि जिले का मेजर प्रोजेक्ट कोडार जलाशय का निर्माण सन 1976 में शुरू हुआ था,जो 1981-82 में बनकर तैयार हुआ। इसके बनने के बाद ही कोडार से लगे 50 ग्रामों में कृषि क्रांति आयी थी। इसके पूर्व बारिश के दिनों में इस क्षेत्र के लोगों को पलायन करना पड़ता था। कोडार की ऊंचाई समुद्र तल से 938.50 फीट है। जिसमें कुल 3 गेट हैं। एल.बी.सी. में 2 गेट तथा आर.बी.सी. में 1 गेट है। यदि केचमेंट एरिया की बात करें तो यह 317.17 स्क्वेयर किलोमीटर में फैला हुआ है। कोडार जलाशय की कुल जल भराव क्षमता 5662 मिलीयन क्यूसेक फी ट है। इसकी लंबाई 7 हजार 440 फीट तथा ऊंचाई 76.52 फीट है। 600 फीट वेस्ट वियर पानी उलट बहाव की लंबाई है।

      अधिक गर्मी से अप्रैल माह में ही सुखने लगे दर्जनों तालाब 
भीषण गर्मी को देखते हुए सिंचाई विभाग द्वारा निस्तारी के लिये कोडार जलाशय से पानी छोड़ जा रहा है। इसके तहत 100 में से 80 तालाबों को भरा जा रहा है, जबकि शेष 20 तालाब स्वत: ही सीपेज से भरे जा चुके हैं।विशेष सूत्रों से मिले जानकारी अनुसार इस बार अप्रैल माह में ही क्षेत्र के दर्जनों तालाब सूख चुके हैं। ऐसे में निस्तारी के लिए लगातार पानी की मांग उठने लगा हैं। पिछले कुछ दिनों से तालाबों को भरने की तैयारी चल रही है। इसके तहत डायवर्सन से अछोला के 1 तालाब भरा जा चुका हैं, 2 भराव जारी है। बेलटुकरी,अमावस, तुमगांव में क्रमश: 1-1 तालाब भरे जा चुके हैं। आर.बी.सी.के तहत परसाडीह, गुडरूडीह, मालीडीह, खैरभांठा, तेंदुवाही, कुकराडीह, कौंवाझर में 1-1 तालाब को भरा जा चुका है। कोडार जलाशय के आर.बी.सी. केनाल की लंबाई 10.6 किलोमीटर है। वहीं एल.बी.सी. की 29.33 किमी है। आरबीसी केनाल से जहां 235 क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है। वहीं एलबीसी से 442 क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है। कोडार का 61469 एकड़ कमांड एरिया है। इनमें से 53671 कृषि एरिया को यह सिंचता है।

आचार संहिता खत्म होते ही कार्य प्रारंभ होने की उम्मीद

कोडार जलाशय के इंजीनियर लाइट मशीनरी विजय वाहने के मुताबिक गेटों को बदलने के लिये हमें 8 माह का समय मिला है, लेकिन टेंडर आदि की प्रक्रिया में समय ज्यादा भी लग सकता है। इसके लिये कुल 11 लाख रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति मिले है। आचार संहिता के समाप्त होते ही काम शुरू होने की उम्मीद है।