जैजैपुर (छत्तीसगढ़ महिमा)। 07 मई 2023, रामनामी जैतखाम का शिलान्यास गत दिनों 05 मई 2023 को किया गया। इस कार्यक्रम को संपन्न कराने के लिए जैजैपुर में संतों,भक्तों का आगमन हुआ।
सतनामी समाज का एक समुदाय 115 वर्ष पहले से यह आयोजन 03 दिन तक मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी द्वादश और त्रयोदशी को करते आ रहे हैं।
यह मेला भारत का कुंभ मेला के बाद सबसे बड़ा मेला है कहलाता हैं। एक अकेले जाति विशेष सतनाम का एक भाग रामनमी के द्वारा यह आयोजन किया जाता है।
इस दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा मेला है। इस मेले में आस पास 03 किलोमीटर के अंतराल में किसी प्रकार का नशा, मांस,जुआ पर सख्त प्रतिबंध रखा जाता है। सर्व समाज के लोग इस रामनाम बड़े भजन मेला में आते हैं।
इस मेले में 03 दिन और 03 रात तक हर वक्त भजन कीर्तन ही होता रहता है,निराकार राम के मानने वाले लोग हैं। मेले में दहेज मुक्त शादियां भी किया जाता है।
रामनाम बड़े भजन मेला के नाम से मशहूर है। जिसका शिलान्यास रखा गया। इस अवसर पर केशव प्रसाद चंद्रा विधायक जैजैपुर एवं सतनामी समाज के प्रमुख लोग छोटे लाल भारद्वाज जिलाध्यक्ष,मनहरण मनहर पूर्व जिलाध्यक्ष एवं संरक्षक,खेमराज खटर्जी ब्लॉक अध्यक्ष,भगवान दास किशोर,विजय लहरे,श्याम लाल सितारे,केदार खांडे,तिरिथ राम बर्मन,विद्यासागर बघेल, बुधराम भारद्वाज,श्याम लाल जांगड़े सहित भारी संख्या में समाज के लोग उपस्थित थे जैजैपुर नगर पंचायत और क्षेत्र के जन प्रतिनिधि गण भी अधिक संख्या में उपस्थित थे। मनहरण मनहर ने बताया कि अधिकांश लोग ये भी सोच रहे होंगे,आखिर यह पोस्ट मैंने क्यों किया है तो आप लोगों को बताता चलूं, व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई लड़ने वाले मान्यवर साहब कांशीराम सन 1980 में छिंद में पहली बार छत्तीसगढ़ आए थे तभी उन्होंने पूरे भारत में पहली बार सबसे बड़े जन समुदाय को इसी मेला से संबोधित किए थे। यह विश्व का एक मात्र ऐसा मेला है, जिसके मानने वाले लोग अपने सारे शरीर के अंगों में राम राम का टैटू (गोदना) गुदवाते हैं, आज तक ऐसा राम भक्त होने का दावा करने वाले कोई भी जाति समाज के किसी एक भी व्यक्ति ने नहीं कर सका हैं न तो कर पाएंगे। सतनामी रामनामी देश और दुनिया का सर्व श्रेष्ठ समाज है। भले ही ना समझ लोगों ने बहुत प्रताड़ित किए हैं, हजारों वर्षों से शिक्षा से वंचित रखा गया था। लेकिन हमारे पूर्वजों के पास सत्रहवीं, अठारहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी में लाखों एकड़ जमीन था। हमारे पूर्वजों में राजा भी हुए,सैकड़ों जमीदार भी रहे, विश्व विख्यात गुरु भी पैदा हुए। इसीलिए भारत में हमारे पूर्वजों में से ही पैदा लिए विश्व विद्वान के द्वारा लिखा संविधान भी चलता है और चलता रहेगा। हमारा समाज जाति और संप्रदायवाद को न मानता है न तो विश्वास करता है। मानवतावाद, समानता पर आधारित बातों को मानने वाले लोग हैं।
रामनामी बड़े भजन मेला की आश्चर्य चकित करने वाली खास बातें- 1. लाखों की संख्या में लोग शिरकत करते हैं। 2.सैकड़ों हजारों की संख्या में मनोरंजन के साधन झूला, सर्कस, सिनेमा, मौत कुंआ, दुकान और होटल आते हैं। 3. सभी लोगों को मुफ्त खाना बनाने के लिए मिट्टी से बने बर्तन,लकड़ी,पैरा बांटा जाता है।
4.मेला के अंतिम दिन आयोजन समिति द्वारा 5 क्विंटल तक दाल और 20 क्विंटल तक चावल पकाया जाता है।
5. पकाया गया दाल और चावल जमीन को अच्छी तरह साफ सफाई पोताई करके जमीन मिट्टी पर ही रखा जाता है,दाल रखने के लिए जमीन पर गड्ढा खोदा जाता है,ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि धरती का खनिज लवण गुरुत्व कर्षण का प्रभाव इस खाने पर समाहित हो जाय, इस दाल चावल को मिला कर रखा जाता है , अपने आप दो भागों में बंट जाने के बाद इसे प्रसाद के रूप में लोगों को बांटा जाता है। आज कल कम दाल चावल पकाया जाता है। इससे इस समाज का मूलनिवासी होने,इस धरती पर पहले आने वाली पीढ़ी का प्रमाण मिलता है।
6. इस मेले के अंदर में 03 दिन तक मक्खियां दिखाई नहीं पड़ती जबकि मिठाई की दुकानें हज़ारों की संख्या में होती है। 7. यह मेला प्रति वर्ष छत्तीसगढ के अलग अलग गांवों में आयोजित किया जाता है। 8. विदेशों से भी कुछ लोग मेला में पहुंचते हैं। उक्त जानकारी रामनामी बड़े भजन मेला से संबंधित विस्तृत जानकारी मनहरण मनहर ने बताया।