साहू समाज की आराध्य देवी भक्त माता कर्मा की जयंती ग्राम निरजाम में मनाई गई

मुंगेली (छत्तीसगढ़ महिमा)। 19 मार्च 2023,
एकादशी की इस पावन पर्व पर ग्राम निरजाम में भक्ति भाव के साथ सभी ग्रामवासी एक साथ मिल कर भक्त कर्मा माता मंदिर में जा कर फूल माला आरती पूजा अर्चना कर माता के चरणों में शीश नवा कर मां कर्मा से सभी ग्रामवासी वासी मां कर्मा से आशीर्वाद प्राप्त किया।
मां कर्मा साहू समाज की आराध्य देवी है, मां कर्मा देवी को श्रद्धा भक्ति के कारण पूरे देश,इतिहास में उनका नाम दर्ज है, मां कर्मा कोई काल्पनिक नही है।
इनका जन्म उत्तर प्रदेश झांसी नगर में चैत्र कृष्ण पक्ष के पाप मोचनी एकादशी संवत 1073सन 1017ई.को प्रसिद्ध तेल व्यापारी राम साहू के घर झांसी नगर  में इनका जन्म हुआ था। मां कर्मा पर अपने पिता के भक्ति भावना और ज्ञान,वैराग्य का बचपन से ही गहन प्रभाव पड़ा था,वे बचपन से ही मीरा के भांति भक्ति भाव से भगवान श्रीकृष्ण को ही गुन गुनगुनाती रहती थी।
उन्हें कृष्ण का बाल स्वरूप अधिक भाता था,इसलिए श्री कृष्ण की बाल लीला स्वरूप को मन ही मन गुन गुनाती रहती थी, धीरे धीरे भगवान के प्रति उनका आस्था बढ़ती ही गई,भक्ति में इतना ही ज्यादा रम गई अपना सुध बुध खो गई,रात्रि में अकेले भगवान को भोग लगाने जगन्नाथ के दर्शन के लिए अकेले ही निकल पड़ी, कर्मा को अपने शरीर की सुध नहीं रही चलते चलते थक कर वह एक वृक्ष की छाया में विश्राम करने लगी,और आंख कब लग गई उन्हें पता नही चला। जब आंख खुली तो मां कर्मा अपने आप को जगन्नाथ पुरी में पाया,यह चमत्कार देख कर भगवान का धन्यवाद किया और मन ही मन श्री कृष्ण का स्मरण करने लगी,जब दर्शन के लिए मंदिर की सीढ़ियां चढ़ने लगी तो उनकी दिन दशा को देख कर मंदिर के पुजारियों ने मां कर्मा को सीढ़ियो से धक्का देकर नीचे गिरा दिया। समुद्र किनारे फेकवा दिया,कुछ समय बाद जगन्नाथ की मूर्ति अचानक विलुप्त हो गई,तब पुजारी मूर्ति को खोजने लगा,पता चला समुद्र किनारे बहुत भीड़ लगा हुआ है,पुजारी जाकर देखा तो जगन्नाथ माता कर्मा की गोद में बैठे हुए। उनका मुख पर खिचड़ी का दाना लगा हुआ था,यह अलौकिक दृश्य देख कर पुजारी लज्जित हो गया,पुजारी माफी मांगने लगा तब भगवान श्रीकृष्ण ने कहा आप लोगो ने भक्त कर्मा को मंदिर से बाहर निकाल दिया तो भला उस मंदिर में मैं कैसा रह सकता हूं। जहां भी कर्मा जैसे भक्त मुझे निस्वार्थ भाव से बुलाए मैं वही चला जाता हूं,मैं जात पात ऊंच नीच का भेदभाव नही करता हूं जहां मुझे प्रेम से पुकारे मैं वही बस जाता हूं,तब मां कर्मा की अनन्य भक्ति को सभी ने स्वीकार किया,तब से आज तक जगन्नाथ जी को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है।