सतनामी समाज का गिरौदपुरी धाम महोत्सव की मांग फिर रही अधूरी

रायपुर (छत्तीसगढ़ महिमा)। 21 मार्च 2023,
 यही नहीं 2023 - 24 के बजट में सीधा सतनामी समाज को ही भूल गए, ऐसा लगता है कि छत्तीसगढ़ में सतनामी समाज रहते ही नहीं। गिरौदपुरी धाम महोत्सव की पिछले कई सालों से मांग हो रही है लेकिन बजट में सतनामी समाज को ही बाहर कर दिया जाता रहा हैं। जबकि अन्य समुदायों की विकास कार्यों के लिए बजट में कई करोड़ों रूपए राशि स्वीकृत प्रदाय किया गया हैं। जिसमें - 1. कौशिल्या महोत्सव के लिए 10 करोड़ रूपए, 2.अंतरराष्ट्रीय रामायण महोत्सव के लिए 12 करोड़ रूपए, 3. राम वन गमन पथ के लिए 2 करोड़ रूपए, 4. सिरपुर विकास प्राधिकरण के लिए 5 करोड़ रूपए, 5.भोरमदेव मंदिर के समीप आदिवासी संग्रहालय के लिए 3 करोड़ रूपए, 6.राजिम माघी पुन्नी मेला के लिए 20 करोड़ 73 लाख रूपए 2023 - 24 बजट में शामिल किए गए हैं। सतनामी की किसी भी मांग को बजट में नहीं लिया गया है। चुनावी घोषणा में पूर्व सरकार के कार्यकाल में 16 प्रतिशत आरक्षण में काटे गए 4 प्रतिशत आरक्षण को पूर्ण करने की घोषणा किया गया था जिसमें 1 प्रतिशत आरक्षण बढ़ा कर 13 प्रतिशत आरक्षण हुए उसमें भी कटौती कर 12 प्रतिशत आरक्षण की गई। सतनामी समाज के आस्था और विश्वास के केंद्र बिंदु संत शिरोमणि गुरू घासीदास बाबा जी के जन्म कर्म तपो भूमि गिरौदपुरी धाम और भंडारपुरी धाम के विकास के लिए सरकार बनते ही प्रत्येक बजट में 02 करोड़ रूपए देने की घोषणा कर शामिल किया गया। जिसे आज तक प्रदाय नहीं किया गया हैं। जो सतनामी समाज को स्पष्ट उपेक्षित किया जाना ही है। यह सच्चाई किसी से नहीं छिपा है सरकार की मार्च 2023 - 24 बजट में सतनामी समाज को कुछ भी प्रदाय नहीं किया गया जिसे बजट पेश किए जाने के बाद सतनामी समाज के विभिन्न संगठनों सामाजिक कार्यकर्ता प्रमुखों द्वारा स्वतंत्र रूप से कोई भी राजनीति करण नहीं कर सतनामी समाज की उपेक्षा को प्रिंट सोशल इलेक्ट्रानिक मीडिया में पोस्ट कर नाराजगी जताई गई हैं। जिनके नाम को उल्लेख स्वतंत्र रूप से नहीं किया जा सकता हैं और कहा गया है कि जागो सतनामी समाज के अंधभक्तों सोए हुए गहरे कुंभकरण निद्रा से सतनामी समाज की विकास उत्थान कार्यों को लेकर समर्पित भाव से तत्पर हो जाओ।