बिलाईगढ़ में भव्य राजशाही दशहरा महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा

    बिलाईगढ़ (छत्तीसगढ़ महिमा)। 05 अक्तूबर 2022, प्रति वर्ष। के भांति अनुविभाग मुख्यालय बिलाईगढ़ में भव्य राजशाही दशहरा महोत्सव धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। बिलाईगढ़ राजमहल के अनुसार 36 गढ़ का 01 गढ़ बिलाईगढ़ में भव्य राजशाही राजा दशहरा 6 अक्टूबर को राजशाही परंपरानुसार धूमधाम से मनाया जाएगा। बिलाईगढ़ महाराज ओंकारेश्वर शरण सिंह ने बताया कि राजमहल का नवरात्रि पूरे 09 दिनों का होता है, जहां हमारी कुल देवी बूढीमाई (माता देवालय) में जंवारा घट (कलश) स्थापना किया जाता है, पूरे 09 दिन माता सेवा किया जाता है राजा साहब ने आगे गोंडवाना परिवार पन्ना (म.प्र.) से ताल्लुक रखते हैं बताया बिलाईगढ़ राज परिवार के पूर्वज पूरे छत्तीसगढ़ में अपना अलग स्थान रखता है। जो कि 1885 से पहले यहां आ कर स्थापित के बाद यहां का दशहरा दूसरा स्थान रखता है। यहां रावण दहन नही किया जाता। एक दो बार रावण दहन करने का प्रयास किया गया। लेकिन दहन करने वाले के परिवार में अनिष्ट हुए जिनका वंशावली आज भी राजमहल में मौजूद हैं। गोड़ आदिवासी मुख्यालय का केन्द्र बिलाईगढ़ और धनसीर रहा है, बाद में बिलाईगढ़, कटगी स्टेट कहलाया। प्रमुख राजमहल बिलाईगढ़ कटगी एवं मड़कड़ी में था। जमीदारी शासन में राजमहल में स्वयं का पुलिस बल,कचहरी (न्यायालय), वन कर्मचारी और अन्य महकमे राजमहल से संचालित होता था।
 जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी भी है। यह राजशाही राजा दशहरा राजा साहब ने आगे बताया कि बस्तर दशहरा
आयोजन किया जाता तब से राजपरिवार के रिति रिवाज से सभी प्रकार की ग्राम पूजा एवं त्यौहार मनाया जाता है। राजा साहब आज भी अपने पूर्वजों के परंपरा के अनुसार 09 दिन कुल देवी (देवालय (कुरिया) में जावरा विसर्जन के पश्चात रात्रि में शस्त्र पूजा एवं दशहरा के दिन सुबह राज बैगा द्वारा ग्राम पूजा एवं शाम को राजमहल से शाही सवारी राजा साहब के साथ पूरे लाव लश्कर अस्त्र शस्त्र के साथ राजा साहब रैनीभाठा (दशहरा मैदान) प्रस्थान करते हैं। वहीं राजा साहब राजशाही वेष, लावह लश्कर, अस्त्र- शस्त्र की एक मात्र झलक पाने के लिए पूरे क्षेत्र से मानो जन सैलाब उमड़ पड़ता है। रैनीभाठा पहुंच कर जहां सबसे पहले आदिवासी युवाओं द्वारा तीरंदाजी प्रतियोगिता विजेता को धोती एवं 2100 सौ रुपए राजा साहब द्वारा पुस्कार प्रदान किया जाता है। तत्पश्चात गढ़ तोड़ाई (लंबी कूद) उत्साह का माहौल देखा जा रहा है।
विजेता को एक बकरा प्रदान किया जाता है। 
जो गढ़ विजेता कहलाता है। इसके बाद राजा साहब एवं उपस्थित अतिथियों के द्वारा जनता को आपसी भाईचारे एवं प्रेम का संदेश दिया जाता,इसके उपरांत शाही सवारी राजमहल वापस पहुंचता है। जहां पर अंचल भर से आए लोगो के लिए भोजन की व्यवस्था रहती है एवं रात्रि में लोगो के लिए मनोरंजन हेतु नगर के अलग अलग जगहों सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित रहती है। वही दूसरे दिन जिसे हटरी दशहरा को आमजन के भ्रमण के लिए राजमहल के सभी कक्षों का द्वार खोल दिया जाता है।राज परिवार ने प्रदेश सहित पूरे क्षेत्रवासियों से अपील किया है कि एक बार भी इस राजा दशहरा को लेकर पूरे क्षेत्र में भारी उत्साह का माहौल है।