छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्योहारों में से एक कमरछठ संतान की लंबी उम्र के लिए माताएं रखती हैं निर्जला व्रत

 छत्तीसगढ़ महिमा महासमुंद। 17 अगस्त 2022,
संतान की लंबी उम्र के लिए  माताओं ने कमरछठ का व्रत रखा। कमर छठ की तैयारी करने सुबह से ही बाजार में खासी भीड़ रही। छह तरह की भाजियां,पसहर चावल, कांशी के फूल,महुआ के पत्ते, धान की लाई सहित पूजा की कई छोटी-बड़ी पूजन की सामाग्री भगवान शिव को अर्पित कर संतान के दीर्घायु जीवन की कामना करते हैं।
माताएं निर्जला व्रत रह कर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं, छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्योहारों में से एक कमरछठ को हलछठ या हलषष्ठी भी कहा जाता है। बिहार में छठ की तर्ज पर इस व्रत को करने वाली माताएं निर्जला रह कर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। सगरी बना कर सारी रस्में निभाया। इस मौके पर कमर छठ की कहानी सुन कर शाम को डूबते सूर्य को अध्र्य देने के बाद अपना व्रत खोलेंगी। 
        सगरी बना कर होगी पूजा
कमरछठ की पूजा के लिए महिलाओं ने गली-मोह्ल्ले में मिलकर प्रतीक स्वरूप दो सगरी(तालाब) के साथ मिट्टी की नाव बनाई और फूल-पत्तों से सगरी को सजा कर वहां महादेव व पार्वती की पूजा की। दिनभर निर्जला रहकर शाम को सूर्य डूबने के बाद व्रत खोलेंगी। 
अछोली निवासी सुमित्रा निषाद, कल्पना साहू, हीरा साहू ने बताया कि यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी किया जाता है। बिहार में जिस तरह छठ मईया की पूजा होती है उसी तरह छत्तीसगढ़ में कमरछठ का महत्व है जो संतान प्राप्ति और संतान की लंबी उम्र के लिए किया जाता है।
       बिना हल चली चीजों का महत्व
छत्तीसगढ़ तरह की भाजियों के लिए प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ में कमरछठ में भी भाजियों का अपना महत्व है।
 इस व्रत में छह तरह की ऐसी भाजियों का उपयोग किया जाता है। जिसमें हल का उपयोग ना किया हो। 
बाजार में भी लोग अलग-अलग तरह की छह भाजियां लेकर पहुंंचे। जिसमें चरोटा भाजी, खट्टा भाजी, चेंच भाजी, मुनगा भाजी, कुम्हड़ा भाजी, लाल भाजी, चौलाई भाजी शामिल है। उक्त जानकारी देते हुए कमर छठ पर्व पर किसान नेता यशवंत साहू ने क्षेत्र वासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।