छत्तीसगढ़ के माटीपुत्र रेशम लाल जांगड़े 11 अगस्त स्मृति विशेष

      
श्री रेशम लाल जांगड़े का जन्म 15 फरवरी 1925 में ग्राम परसाडीह तहसील बिलाईगढ जिला बलौदाबाजार - भाटापारा में हुआ। उनका माता पिता का नाम श्री टीका राम जांगड़े तथा माता श्रीमती गंगामति थे।
  श्रीमती कमला जांगड़े से 1958 में विवाह की उनसे 03 पुत्र एवं 02 पुत्री से भरे पूरे परिवार हैं। 
दादा श्री माखन दास जांगड़े था जो उस क्षेत्र के जाने माने समाज सेवक एवं प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी गांव के मालगुजार रहे थे।
 प्राथमिक शिक्षा - 1932 से प्रारंभ मऊहाडीह बिर्रा तहसील चाम्पा जिला जांजगीर चांपा और ग्राम नगरदा तहसील बिलाईगढ़ जिला बलौदा बाजार में 2 कक्षा से पांचवी कक्षा तक, हाई स्कूल की शिक्षा - लारी हाई स्कूल रायपुर जो वर्तमान में सप्रे हाई स्कूल के रूप में जाना जाता है। महाविद्यालयीन शिक्षा - सन 1943 तक महाविद्यालयीन शिक्षा स्नातक शासकीय छत्तीसगढ़ महाविद्यालय रायपुर से उत्तीर्ण किए।
 सन 1943 से 1949 तक नागपुर विश्व विद्यालय से विधि स्नातक की शिक्षा पूर्ण की।
भारत छोड़ो आन्दोलन 1942 में राष्ट्रीय आंदोलन में जेल यात्रा की छात्र जीवन में युवा अवस्था में ही देश भक्ति सेवा भावना रखते थे जेल भी गए स्वतंत्रता सेनानी की खिताब मिला।
वर्ष 1952 - लोक सभा के प्रथम चुनाव संवैधानिक नियम से हुए जिसमें रेशम लाल जांगडे़ बिलासपुर संसदीय क्षेत्र से चुनकर संसद पहुचें से वहां के प्रथम सांसद बने तथा लगातार 1962 तक सांसद रहें, इस कार्याकाल में संसद के विभिन्न समितियों के सदस्य रहें।
 वर्ष 1962 से 1967 तक मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए और उपमंत्री - मध्यप्रदेश शासन में रहें। सन 1972 से सन 1977 तक मध्यपद्रेश विधानसभा के निर्दलीय सदस्य रहें एवं सन 1985 -1986 विधानसभा के उपनेता प्रतिपक्ष भाजपा में रहें। 
सन 1972 से जनसंघ में शामिल हुए सन 1977 में जनता पार्टी के सदस्य बने व 1980 से भाजपा के नियमित सदस्य हुए वर्ष 1985 - भारतीय जनता पार्टी के सुन्दर लाल पटवा शासन में विधायक रहें।
वर्ष 1989-1991 तक पुनः लोक सभा के सांसद बिलासपुर क्षेत्र से निर्वाचित हुए।
अस्पृश्यता निवारण बिल संसद में डाॅ.भीमराव अंबेडकर द्वारा प्रस्तुत ‘‘हिन्दू कोड बिल‘‘ वर्ष 1954-55 बहस में भाग लिया गया। शासकीय संकल्प द्वारा लोक सभा वर्ष 1954-55 में शासन से आश्वासन प्राप्त किया।
भाजपा के पदाधिकारी के कार्य में - मध्यप्रदेश भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष व मध्यप्रदेश चुनाव समिति के सदस्य रहें। श्री रेशम लाल जांगड़े सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए गुरू गोसाई अगमदास के निधन पश्चात - गुरू माता मिनीमाता को संसद बनाने में अहम भूमिका रहा।
 स्व.जगजीवन रामजी के अनुशंसा से जांगड़े जी द्वारा लिया गया तब मिनीमाता सांसद बनी।
 बेदराम अजगले, गणेश राम अनंत आदि को राजनीति में विशेष स्थान दिलाया।
सामाजिक क्षेत्र में जांगड़े जी प्रदेश के प्रमुख समाज सुधारक महंत लक्ष्मीनारायण दास, विजय शंकर दीक्षित, पंडित सुन्दर लाल शर्मा, शंकर राव गंनोद वाले, ठाकुर प्यारेलाल, डाॅ.खूबचंद बघेल से प्रेरणा प्राप्त कर सहयोगी के रूप में कार्य करते रहे थे। सतनामी समाज के प्रमुख समाज सुधारक जिसमें महंत नयनदास महिलांग,  अंजोरदास राय कोसले,मिनीमाता जी बड़े भाई मूलचंद जांगड़े के साथ काम किया। राज्य में अस्पृश्यता निवारण छूवा-छूत शोषित पीड़ितों के शैक्षिक विकास, गंदे कामों से मुक्ति, महिला शिक्षा, जन जागृति हेतु प्रदेश के सभी जिलों में पद यात्रा किया। उत्तरप्रदेश, बिहार, हिमांचल प्रदेश, दिल्ली, जम्मू कश्मीर से बंधूवा मजदूरों को छूड़वाया और 11 सौ अनुसूचित छात्रों को 19 छात्रावास खोलकर स्वयं के तनखा जो सांसद के रूप में मिलता था उसे खर्च कर छात्रावास संचालित कर शिक्षित किया और बेरोजगारों को रोजी-रोजगार दिलाया।
संत शिरोमणि गुरू घासीदास बाबा जी की जन्म कर्म तपो भूमि गिरौदपुरी धाम मेला आयोजन  के 1991 में समिति का अध्यक्ष बने, और रामनवमी भजन मेला के माध्यम से अनुसूचित में चेतना जागृत किया। 
छूवा-छूत मिटाने में सभी समाजों के साथ मिलकर जांगड़े जी ने उल्लेखनीय कार्य किया, पूरे प्रदेश का पैदल मार्च किया। प्रदेश के विभिन्न गांधीवादी नेताओं ने 9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया तथा 12 अगस्त 1942 को जांगड़े जी गांधी चौंक रायपुर में भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़े।
 मंच से अंग्रेजी शासन के विरूद्ध हिटलर एवं जर्मनी की तरीफ करते हुए घोर निंदा की और शहीद भगत सिंह व सुभाष चंद्र बोस की उन्तेजक भाषण देते हुए जिंदाबाद के नारे लगाये उस समय के कमीशनर जे.डी.केरा वाले व पुलिस अधिकारियों ने श्री जांगड़े को सेन्ट्रल जेल रायपुर भेज दिए जहां नाबालिक छात्र होने के कारण 15 दिवस जेल रहने पश्चात रिहा की गई।
अधिवक्ता के रूप में प्रदेश के गरीब पिछड़े लोगों को निःशुल्क न्याय दिलाने में सहयोग किया निरापराध लोगों की पैरावी कर छूड़ाया खास कर फौजदारी मामले के प्रसिद्ध वकील थे श्री जांगड़े।
 संसद में तत्का.प्रधानमंत्री लाल बहादूर शास्त्री, एवं बाबू जगजीवन रामजी उन्हे बहुत स्नेह करते थे।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का बेहत स्नेह एवं आर्शीवाद जांगड़े को मिला।
 छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण में योगदान संपादित की
स्व.खूबचंद बघेल से विचार विमर्ष के बाद एवं स्व. ठाकुर प्यारेलाल सिंह से मंत्रणा के बाद 1956 में राज्य पुर्नगणन आयोग के गठन के बाद संसद में छ.ग.राज्य के गठन के लिये संसद में अपना पक्ष रखा।
 राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक सम्मान -  संसद की 60 वीं वर्षगाठ पर देश के प्रथम सांसद के रूप में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष व दोनो सदनों द्वारा 13 मई 2012 को उनका सम्मान किया गया। अनुसूचित जाति उत्थान के लिए राज्य अलंकरण सामाजिक चेतना के लिये गुरू घासीदास समान वर्ष 2005-06 में राज्य सरकार द्वारा प्रदान किया गया। 11 अगस्त 2014 को रायपुर में आकस्मिक निधन हो गया।
इनके सुपुत्र डॉ.हेमचंद्र जांगड़े ने अपने पिता ऊपर पीएचडी किया। वे राज्य अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व सदस्य रहे। उनके बताए मार्ग नक्शे कदम पर चलते हुए जन समाज सेवा में जुटे हुए हैं। इनके द्वारा अपने गृह ग्राम परसाडीह पहुंच मार्ग पथरिया मोड़ पर और गांव में श्री जांगड़े के स्मृति में स्वागत द्वार निर्माण किया गया हैं।
गुरू घासीदास प्लाजा अमापारा रायपुर में और नगर पंचायत भटगांव के नवीन बस स्टैंड पर प्रतिमा स्थापना किया गया हैं। स्व.श्री जांगड़े जी के पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।