संत कबीर दास जयंती 14 जून

 छत्तीसगढ़ महिमा रायपुर। 13 जून 2022,
संत कबीर दास ने उस समय आन्दोलन किया जब धार्मिक जातिवाद कट्टरता चर्म सीमा पर था, संत कबीर दास ने पाखण्डवाद,कर्मकाण्ड और चमत्कार के विरोध में आन्दोलन किया,लेकिन वर्तमान में संत कबीर दास को मानने वालों व्यक्तियों ने संत कबीर दास को ही चमत्कार में विलीन कर दिया। संत कबीर ने कभी किसी (जीव) पशु पक्षी व्यक्ति धर्म जाति रंग भाषा से भेद नहीं किया। उन्होंने हमेशा सभी को समान दृष्टि से देखा, 
सभी के कल्याण की बात की। उन्होंने अपने विचारों को अपनी वाणी में दोहों के माध्यम से बताया है।
एक राम दशरथ घर खेले,एक राम घट घट में बोले।
एक राम का जगत पसारा,एक राम है सबसे न्यारा।
जो तू सच्चा बनिए,सबसे एक सा बोल,ऊंच नीच को छोड़ कर एक बराबर बोल।
ऊंचे पद के कारण तू मानवता भूल रहा,जब तन मिट्टी हो जायेगा,तो तेरे पद का होगा क्या।
     आदि अनेक दोहे का उल्लेख किया
कबीर का विचार मानव कल्याण के लिए ही नहीं बल्कि, सभी (जीव) पशु पक्षी मानव कल्याण के लिए है।
उन्होंने कभी किसी से धर्म जाति रंग भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं किया। यदि हम संत कबीर दास को अपना आदर्श मानते है तो हम किसी से धर्म जाति रंग भाषा ऊंच नीच अमीर गरीब के नाम पर किसी से भेद भाव नहीं कर सकते है।  संत कबीर दास की जन्म उत्सव 14 जून 2022को से म पूरे संसार में घर घर मनाया जा रहा है।