धनंजय जांगडे रिपोर्ट 19 अक्टूबर 2024(छत्तीसगढ़ महिमा न्यूज़ ) कोरबा पाली पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में गोधन न्याय योजना की शुरुआत कर ग्राम स्तर में गौठान बनाकर गायों का संरक्षण करने का काम कर रही थी और गौ मूत्र के साथ गोबर भी खरीदी कर ग्रामीणों को आर्थिक रूप से समृद्ध करने का काम भी कर रही थी। लेकिन प्रदेश में भाजपा की सरकार आते ही इस योजना को बंद कर दिया गया। जिससे गौ वंश फिर सड़क पर आ गए। वहीं गौ- वंश रक्षा का ढिंढोरा उस वक्त बेनकाब हो गया, जब देखा गया कि बंद पड़े गौठान में दर्जनों गौ- वंश को ताले में कैद तो कर दिया गया है, लेकिन उनके चारे पानी की कोई व्यवस्था नही होने से तड़प- तड़पकर उनकी असामयिक मौत हो रही है।
जिले के पाली ब्लाक अंतर्गत ग्राम पंचायत सैला स्थित बंद पड़े गौठान में गौ माता के प्रति क्रूरता का शर्मनाक नजारा देखने को मिला। जहां लगभग 70- 80 गौ वंशो को कैद कर रखा तो गया है, किन्तु उनके चारे- पानी की कोई व्यवस्था नही होने से भूख प्यास से उनकी मौत हो रही है। मौके पर जाकर देखा गया तब गौठान के भीतर 4- 5 गौ- वंश न जाने कितने दिनों से मृत पड़े थे। जिसमें एक छोटा सा बछड़ा भी शामिल था, जिनके मांस चील- कौंवे नोच रहे थे। ग्रामीणों ने बताया कि आवारा घुमंतू मवेशियों के कारण खेतों में लगी फसलें सुरक्षित नही थी। फसलों को ऐसे मवेशियों से बचाने उन्हें निर्मित गौठान में बंद कर दिया गया है। लेकिन उनके लिए चारे- पानी की कोई व्यवस्था नही की गई है, उल्टे गेट में ताला लगाकर कैद कर दिया गया है, जो कई दिनों से भूखे- प्यासे है। जिनकी सुध कोई लेने वाला नही है और जिनमे से कुछ गौ- वंश की मौत हो गई है। यह स्थिति सिर्फ एक गौठान की नही बल्कि जिले के अनेक ग्रामों के गौठान में ऐसे हालात निर्मित है, जहां हाल के धान फसली सीजन में आवारा घुमंतू मवेशियों को गौठान में कैद तो कर दिया गया है, परंतु उनके लिए चारे- पानी की कोई व्यवस्था नही की गई है। एक तरफ जिस गौ वंश की लोग पूजा करते है, दूसरी तरफ उनके साथ ऐसा बर्ताव आस्था को ठेस पहुँचाने वाला तो है ही, इंसानियत को झकझोरने वाला भी है। पूर्व कांग्रेस भूपेश सरकार ने नरवा, गरुवा, घुरवा, बाड़ी योजना के तहत गौवंश संरक्षण की दिशा में गौठान व्यवस्था संचालित की, वहीं वर्तमान भाजपा साय सरकार में गौवंश रक्षा का ढिंढोरा तो पीटा जा रहा लेकिन गौठान योजना बंद कर दी गई। ऐसे में आवारा गौवंश आखिर जाए तो जाए कहां। हालात यह हो चला है कि मवेशी लगातार सड़को पर दुर्घटना के शिकार हो रहे है। यह सब स्पष्ट दिखने के बाद भी गौवंश रक्षा का ढोल ठोंकने वालों का गौवंश संरक्षण की दिशा में सार्थक प्रयास नही दिख पा रहा है।