धनंजय जांगडे रिपोर्ट 21 अक्टूबर 2024(छत्तीसगढ़ महिमा न्यूज़ ) कोरबा पंचायती राज अधिनियम में भले ही ग्राम पंचायतों को वित्त और प्रशासन के मामले में अधिकार संपन्न होने की बात कही गई है, लेकिन वास्तव में सरपंच उधार के भरोसे पंचायत को संचालित कर रहे हैं। पंचायतों के खाते में 15वें वित्त की लाखों की राशि लंबे समय बाद तो जारी की गई है, पर आहरण की अनुमति नहीं मिली है। वहीं मूलभूत की राशि भी करीब एक साल से पंचायतों को नही मिली है। ऐसे में कराए गए कार्यों के मटेरियल सामाग्री व मजदूरी भुगतान को लेकर सरपंच, सचिव पर दबाव बढ़ते जा रहा है।
पंचायतों में सरपंच ग्राम विकास के कार्य में अपने घर के पैसे से अथवा उधार में पंचायत का काम करा रहे हैं। जिससे सरपंचों को बुनियादी सुविधाएं और विकास कार्यों पर खर्च करना मुश्किल हो गया है। ज्ञात हो कि पंचायतों को गांवों में बुनियादी विकास के कार्य कराने के लिए वित्त आयोग राशि जारी करती है जो सीधे पंचायत के खाते में जमा होता है। इसे जिम्मेदार ग्राम पंचायत के अनुमोदन से ग्रामीणों को सुविधाएं देने और विकास कार्य के लिए खर्च करते है। वहीं लगभग एक वर्ष से मूलभूत की राशि भी पंचायतों को नही मिली है। मूलभूत की राशि से गांव में जल, सड़क, प्रकाश व्यवस्था, स्वच्छता सहित शासकीय संपत्ति के रखरखाव व मरम्मत के जैसे कार्य कराए जाते है। लेकिन इस मद में भी राशि नही होने से सरपंचों के हाथ खाली होने से गांवों में जनकल्याण के कार्य प्रभावित हो चले है। स्थिति यह है कि उधार में हुए निर्माण कार्यों के मटेरियल सप्लायर, वेन्डर और मजदूर वर्ग सरपंचों से पैसा लेने दबाव बना रहे है, किन्तु 15वें वित्त आयोग की राशि ऑनलाइन न होने और मूलभूत राशि नही मिलने से सरपंच कर्जदार हो चले है। सरपंचों ने अपना नाम न उजागर करने की शर्त पर अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए बताया कि लगभग साल भर बाद 15वें वित्त आयोग की राशि पंचायतों को जारी की गई है, लेकिन ऑनलाइन एंट्री न होने के कारण आहरण की अनुमति नही मिली है। ऐसे में कराए गए उधार के कार्यों का भुगतान नही हो पा रहा। वही मूलभूत की राशि भी नही मिलने से ग्रामीणों को बुनियादी सुविधा मुहैया नही करा पा रहे है। इस हालात में पंचायत संचालन में काफी कठिनाई हो रही है। उन्होंने कहा है कि शासन- प्रशासन इस ओर गंभीरता से संज्ञान ले ताकि पंचायत के विकास व मूलभूत सुविधाओं के लिए ग्रामीण जनता को तरसना न पड़े।