
असुविधा के कारण डेढ़ लाख बच्चे तकनीकी सुविधा से वंचित हैं। 03 साल पहले हुई कोरोना महामारी ने पढ़ाई लिखाई की दिशा और दशा बदल कर रख दी है। आनलाइन पढ़ाई के विकल्प का सामने लाकर रख दिया। साथ पुस्तकों बारकोड की भी सुविधा दी गई। इसका उदेश्य यह भी है कि यदि कोई विद्यार्थी किसी कारण वश विद्यालय में अनुपस्थिति रहता है तो वह बारकोड के माध्यम से मोबाइल में स्कैन की उस दिन की पढ़ाई को पूरा कर सकते है। तकनीकी व्यवस्था के भरोसे शैक्षणिक सत्र की नैया पार कराने वाले शिक्षा विभाग के सामने नेटवर्क की कमी ने समस्या खड़ी कर दी है। जिले के श्यांग, लेमरू, साखो, हरदीमौहा, दूधीटांगर, मेरई, जैसे वनांचल आदिवासी गांव के लोगाें को नेटवर्क से जुड़ने के लिए निकटवर्ती शहर या उपनगरीय क्षेत्र में आना पड़ता है। इससे ई-बुक शिक्षा की बेहतरी का आकलन किया जा सकता है। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए शासन स्तर पर अब तक कोई पहल नहीं की गई। नेटवर्क की कमी से शैक्षणिक गतिविधि का प्रभावित होना नई बात नहीं है। इससे पहले भी स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति का आनलाइन रिकार्ड रखने के लिए थब मशीन लगाया गया था, जो नेटवर्क के अभाव में कबाड़ हो चुके हैं।
शिक्षक समय पर स्कूल पहुंचते या नहीं इसका ग्रामीण क्षेत्रों में सही नहीं हो रहा आकलन
सत्र की शुरूवात हो चुके हैं शिक्षा विभाग ने सभी स्कूल प्रमुखों को स्कूल खुलने के पहले शाला प्रबंध समिति की बैठक लेकर पढ़ाई शुरू करने के लिए कहा था। अभी भी अधिकांश स्कूलों में बैठक नहीं हो पाई है। अधिकांश स्कूलों में पुस्तक वितरण का काम पूरा नहीं हो सका है। बीते वर्ष सत्र शुरू होने से पहले की पुस्तकाें का वितरण किया जा चुका है। कापी वितरण पर गौर किया जाए तो प्रायमरी में दो और मिडिल हाई स्कूल में तीन-तीन कापियां प्रदान की गई थी। आनलाइन पढ़ाई जितनी प्राथमिक शाला के लिए चुनौती भरी है, उससे भी कहीं अधिक हाई व हायर सेकेंडरी के लिए मुश्किलों भरा है। नेटवर्क सुविधा की दृष्टि से कटघोरा और करतला विकासखंड की दशा बेहतर है। मैदानी और सघन बसाहट वाले क्षेत्र होने से दोनों विकास खंड के लगभग सभी पंचायत नेटवर्क क्षेत्र में आते हैं। दूसरी ओर पाली, कोरबा और खासकर पोड़ी उपरोड़ा के गांव आनलाइन पढ़ाई की दृष्टि से बेहतर नहीं हैं। इन क्षेत्रों में कक्षा में होने वाली पढ़ाई का ही भरोसा है। ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थ कई शिक्षक संसाधन की कमी से जूझते हुए भी बेहतर परिणाम दे रहे हैं। वहीं ऐसे भी शिक्षक हैं। जो पढ़ाई के नाम पर औपचारिकता का निर्वहन कर रहे हैं। उपलब्ध नहीं एंड्राइड मोबाइल
पाठ्य पुस्तक निगम ने आनलाइन से जोड़कर पढ़ाई का सरलीकरण कर दिया है। इससे बच्चे पुस्तक के अलावा मोबाइल पर भी इंटरनेट सुविधा से पाठ्यक्रम को विस्तार से समझ सकते हैंं। मुश्किल यह है कि जहां नेटवर्क है, वहां भी ऐसे कई दिहाड़ी मजदूर परिवार हैं जिनके पास एंड्राइड मोबाइल नहीं है। ऐसे में उनके बच्चे सुविधा अछूते हैं। अभिभावकों को आनलाइन पढ़ाई से बच्चों को जोड़ने के लिए मोबाइल खरीदने प्रेरित किया जा रहा हैं। आर्थिक तंगी भी आनलाइन पढ़ाई के आड़े आ रही है।
145 अतिशेष शिक्षक पदस्थ हैं शहर के स्कूलों में
प्रतिवर्ष 70 से 80 शिक्षक हो जाते हैं सेवा निवृत्त