
पामगढ़ से रोज रात में गुजर रहे सैकड़ो वाहन
महानदी का सीना चिरकर रेत घाटों से किस तरह रेत का उत्खनन और परिवहन किया जा रहा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रोजाना पामगढ़ से रेत से भरे हाइवा और ट्रैक्टर सैकड़ों की संख्या में गुजरते हैं। महानदी के देवरी, खोरसी, तनौद और देवरघटा रेत घाट से रेत निकाल कर उसे बिलासपुर में अधिक कीमत में खपाया जा रहा है। यहां एक हाइवा रेत 16 हजार रूपये में बिक रही है।
वाहन को रोकते ही पहुंच जाता है जिला मुख्यालय से अधिकारी का फोन
लोकसभा चुनाव के दौरान सुरक्षा को लेकर एफएसटी और एसएसटी टीम बना कर कई स्थानों पर अधिकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। वाहनों को रोक कर जांच करने के लिए चेक पोस्ट भी बनाए गए हैं। रेत लेकर गुजरने वाले वाहनों को चेक पोस्ट में रोका जाता है तो जिला मुख्यालय से वाहन को छोड़ने के लिए के एक अधिकारी का फोन पहुंच जाता है। वहीं पामगढ़ एसडीएम कार्यालय का एक कर्मचारी भी ट्रैक्टर और अन्य वाहनों को छुड़वाने में सक्रिय रहता है।
रायल्टी वाले वाहन को पकड़ कर किया जा रहा कार्रवाई
परिवहन कर्ताओं का कहना है दिन और रात नदी से रेत उत्खनन कर रहे हैं उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है जबकि खनिज नियमों के साथ रायल्टी लेकर रेत परिवहन करने वाले वाहनों को कार्रवाई के नाम पर पकड़ा जाता है और पैसे लेकर छोड़ दिया जाता है। ठेकेदार ठेका के नियम शर्तो का धज्जी उड़ाते हुए शासन द्वारा निर्धारित दर से अधिक कीमत पर बिना रायल्टी के रेत को बेच रहे हैं जिसकी वजह से जरूरत मंदों को रेत अधिक दर पर मिल रहा है।
शासन को हो रहा राजस्व का भारी नुकसान
रेत माफियाओं के हौसले इतने बुलंद है कि बंद रेत घाटों से रेत का खनन किया जा रहा है। जिले के हसदेव, महानदी सहित अन्य सहायक नदियों के रेत घाटों को रेत खनन के लिए ठेका में दिया गया था। जिसका ठेका अक्टूबर महीने में समाप्त हो चुका है। मगर रेत माफियाओं के द्वारा रेत घाटों से अवैध उत्खनन किया जा रहा है। रेत माफिया बिना रायल्टी के रेत बेचकर शासन को राजस्व का चूना लगा रहे हैं। वहीं खनिज व राजस्व विभाग के अधिकारी जानकारी के बाद भी मौके पर पहुंच कर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। ऐसे में खनिज विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता है।