अरविंद कुमार, स्टेट ब्यूरों चीफ
मुंगेली/ छत्तीसगढ़ महिमा / भ्रूण अविकसित जीव अवश्य हो सकता है, परन्तु निर्जीव नहीं, लेकिन फिर भी भ्रूण हत्या करना लोगों के लिए आसान और आम हो गया है। भ्रूण हत्या प्रतिबंधित होने के साथ ही अपराध में शामिल है, परन्तु इस अपराध को छिपाकर किये जाने का कृत्य अधिक हो रहा है। नवजात शिशु हत्या के दो प्रमुख कारण हो सकते है, एक तो यह कि लोगों की सोच व मानसिकता बेटियों के प्रति विपरीत है, जिससे नवजात शिशु जन्म लेते ही उसे छोड़ या मार दिया जाता है।
दूसरा कारण अवैध संबंधों के पश्चात् ध्यान न देने पर भ्रूण अपनी चरम सीमा तक पहुंच जाता है, जिसे मजबूरी समझकर रख तो लिया जाता है। परन्तु नवजात शिशु के जन्म होते ही नालियों, झाडियों या जंगलों में पड़े मिलते हैं, ये शायद ही नहीं यकीनन अवैध संबंधों का परिणाम है, लेकिन इसमें इन नवजातों का क्या अपराध है? जबकि अपराध तो इन लोगों का है जिन्हें संबंध बनाते समय उस नवजात का ख्याल भी नहीं आता, और फिर संबंधों को छिपाने के लिए मासूमों को छोड़ या मार दिये जाते हैं।
संबंध बनाने में गलतियों और भूल आज आम बात हो गयी है, जबकि कई उपकरण बाजार में हर तरफ उपलब्ध है। लेकिन सवाल ये है कि क्या लोग इस घटिया और अपराधिक मानसिकता से बाहर आएंगे या फिर नवजातों शिशुओं की हत्या के इस गंदे व घिनौने अंजाम को देने वाले पर विशेष अपराध की जांच होनी चाहिए? लोग अवैध संबंधों में ही नहीं बल्कि वैध और पवित्र संबंध के बावजूद कई बार भ्रूण हत्या व नवजात शिशुओं की हत्या कर देते हैं।
कभी बच्चे की चाहत न रखने की वजह से तो कभी बेटी के पैदा होने के खौफ से लेकिन इस कड़ी में मासूम आज भी सैकड़ों की संख्या में मार ही दिए जाते हैं। लोगों को अपने संबंध स्वीकार हैं। परन्तु संबंधों से उत्पन्न संतान अस्वीकार है क्यों?
नवजात शिशु झाड़ियों के बीच लावारिश हालात में मिले
विगत दिनों लोरमी क्षेत्र के ग्रामपंचायत झझपरी कला लोरमी मे एक नवजात शिशु झाड़ियों के बीच लावारिश हालात में मिला था जिसका आनन फानन में ईलाज हेतु अस्पताल लाया गया था, परन्तु इलाज के दौरान निधन हो गया। जिनका अंतिम संस्कार सामाजिक संस्था पहल मुंगेली के द्वारा किया गया किया । आपको बता दें पहल एक ऐसी सामाजिक संस्था है जो निस्वार्थ भाव से पिछले कई सालों से लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार करते आ रही है। इसकी जानकारी पहल के अध्यक्ष राजकुमार (राजू) वेंताल ने दी जो कि पेसे से नगर पालिका में ठेकेदारी करते हैं।