कटघोरा वन मंडल के पसान परिक्षेत्र अन्तर्गत जलके वन परिसर बीजाडाँड़ कक्ष क्रमांक पी 198 में कोयला तस्करों द्वारा कोयला का अवैध उत्खनन कर चिरमिरी परिवहन किया जा रहा, जिस मामले में अवैध कोल उत्खनन और परिवहन में कोल माफियाओं को संरक्षण देने वाले पसान वन परिक्षेत्र अधिकारी रामनिवास दहयात को बचाने के चक्कर में कुछ वन कर्मी व मीडियाकर्मी तत्कालीन रेंजर धर्मेंद्र चौहान को बदनाम करने में लगे है जिससे की अवैध कोल मामले में वर्तमान रेंजर पर कार्यवाही होने से बचाया जा सके।
गौरतलब है की तत्कालीन रेंजर धर्मेंद्र चौहान द्वारा पसान वन परिक्षेत्र का चार्ज 6 महीने पूर्व ही रेंजर रामनिवास दहायत को दे चुके है,चार्ज देने से पहले वन परिक्षेत्र अन्तर्गत अवैध तरीके से काटे जा पेड़ों के कटाई और कोल खनन पर लगातार की जा रही कार्रवाई से जहां माफियाओं में हड़कंप मचा हुआ था।
कुछ तथाकथित मीडिया कर्मी तत्कालीन रेंजर से नाखुश थे और अभी के रेंजर के कार्यकाल में जम कर पेड़ो का दोहन,कोयला खनन हुआ है। जिससे सभी को मैनेज करके रखा गया है,किंतु कुछ दिनो पूर्व कोयले पर बड़ी कार्यवाही से इनका पूरा सिंडिकेट बिगड़ गया है।जिस मामले में डिप्टी रेंजर और एक बीट गार्ड को निलम्बित किया जा चुका है और रेंजर पर कार्यवाही लंबित है।जिससे की वसुलीबाज वन कर्मियों और कुछ तथाकथित मीडियाकर्मी में हड़कंप मचा हुआ है कि रेंजर पर कार्यवाही हुआ तो उनकी अवैध रोटी रोजी बंद हो जाएगी। जिसकी वजह से ही केस के रुख को मोड़ने की कोशिश करते हुए तत्कालीन रेंजर धर्मेंद्र चौहान को बदनाम करने की साजिश करते हुए गलत खबर प्रकाशित किया जा रहा है। इससे पूर्वतत्कालीन रेंजर पसान द्वारा पसान रेंज में पदस्थिति के दौरान अवैध कटाई में 5 अपराधियों को कोर्ट चालान कर जेल भेजा गया। साथ ही 01 साल की पोस्टिंग के अंदर हो रहे लकड़ी की अवैध परिवहनों में 04 ट्रैक्टरों को जप्त कर कार्यवाही की गई हैं। हाथी के बच्चे को जहर देकर मारने वाले 13 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल इनके ही कार्यकाल में भेजा गया था। इनके कार्यकाल में कोयला माफियों की हिम्मत नही हुई। इनके द्वारा मौके पर पहुंचकर की जाने वाली कार्रवाई से ठेकेदारों के साथ ही उनके कुछ तथाकथित सफेदपोशो में हड़कंप मचा हुआ था। लेकिन इनका ट्रांसफर होने के बाद से ही वन परिक्षेत्र पसान में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पार कर चुका हैं।