धनतेरस दीपावली गोवर्धन पूजा के बाद मनाएं मातर जाथे मड़ई जेमा राउत नाचा लोक परब होथे विशेष

  
  रायपुर (छत्तीसगढ़ महिमा)। 26 अक्तूबर 2022,
हमर छत्तीसगढ़ म देवारी परब ल 3 दिन के मनाए जाथे। कातिक अमावस के सुरहुत्ती अउ गौरा- ईष्टदेव बिहाव परब। बिहान भर नवा खाई (अन्नकूट) अउ गोवर्धन पूजा अउ वोकर बिहान भर मातर परब। हमर इहाँ छत्तीसगढ़ के परंपरा म मातर के दिन ही मड़ई जगाए के परंपरा ल घलो पूरा करे जाथे, तहाँ ले एकरे संग मड़ई अउ मेला के सरलग उमंग उत्साह शुरू हो जाथे। गाँव म गोवर्धन पूजा के बिहान भर मातर परब मनाए के रिवाज हे। गांव भर के जतका गरुवा मन के बरदी हे,सबो ल दइहान ठउर म सकेले जाथे अउ जब गांव भर के लोगन सकला जाथें,त फेर वो सकलाए सबो गरुवा मन ला वो जगा आंवर-भांवर घुमाए जाथे। ए बेरा म गाँव के पहाटिया समाज डहर ले दइहान ठउर म एक पूजा स्थल बनाए रहिथे, जेला गौठान स्थापना करना घलो कहिथें। ये खुड़हर देव स्थापना या पूजा ठउर बनाए के बुता ल गोवर्धन पूजा के दिन ही पूरा कर लिए जाए रहिथे। उही नारियल अगरबत्ती धूप दीप जला हुम देके नेंग ल घलो पूरा करे जाथे। अपन विशेष मयारुक गाय या भइंस ल वोमन ए बेरा म सोहाई घलो बांधथें। इही दिन मड़ई मनाए के घलो परंपरा हे। जानकर मन के अइसन कहना हे,के मड़ई ल खरीफ फसल के लुआए के बाद वोकर उल्लास के रूप म मनाए जाथे। एला अलग- अलग गाँव म अलग-अलग दिन मनाए जाथे, तेमा आस पास के दूसर गाँव वाले मन घलो अपन अपन गाँव के मड़ई ल धर के ए उल्लास म संघर सकलाय रहिथे। एकरे सेती गाँव के बइगा ह पंच सरपंच अउ आने सियान मन संग दिन तिथि जोंग के तीर तखार के सबो गाँव म एकर आरो कराथे।
 गाँव म नौकरी पेशा वाले आय तेकर सेती मातर के दिन ही मड़ई के आयोजन करे जाथे, तेमा रोजी रोजगार वाले मन मड़ई मना के बिहान भर अपन अपन बुता म संघर सकलाय रहिथे। मड़ई म गाँव के जतका ग्राम्य देवता होथे,वोकरे मन के नांव म अलग-अलग मड़ई उठाए जाथे। ए सबमें एक माई मड़ई घलो होथे, जेला माई मड़ई या कंदई मड़ई घलो कहिथें। हमर गाँव म ए माई मड़ई ल मछिन्दर बबा ह उठावय। गाँव म हमरे पारा म उन राहंय। उंकर असली नांव ल तो कभू जान नइ पाएन, हमन तो उनला मछिन्दर बबा अउ उंकर सुवारी ल मछिन्द्रिन दाई ही काहन। वोमन जात के केंवट रिहिन। उंकर मनके सरग सिधारे के बाद उंकर वंशज मन ही ए परंपरा के निर्वाह करथें। अइसे कहे जाथे,के मड़ई ह अच्छा फसल होए के उल्लास म ही मनाए जाथे। अउ अच्छा फसल जब वरुण देवता प्रसन्न होके भरपूर पानी बरसाथे,त होथे। मातर मड़ई के परब म राउत समाज के भागीदारी अउ उत्साह ल देखतेच बनथे। एकर मन के बिना ए परब के रौनक के कल्पना घलो अबीरथा हे।
जब राउत भाई मन अपन विशेष संवागा कर के गंड़वा बाजा संग दोहा पारत नाचथें,त अद्भुत दृश्य उपस्थित हो जाथे।
     दोहा म कहथ - 
पान खायेन सुपारी मालिक, सुपारी के दुई कोर।
तुम तो बइठो रंगमहल में, जोहार लेवव मोर।
अवत दिएन गारी गोढ़ा,जावत दिएन असीस।
दूधे खाव पूते बिहाव,जीयव लाख बरीस।
देवरी परव के छाय सबो ओती उजियारी घर घर  खुशियाली।
 मातर परब संग मड़ई जागरण के सब प्रदेश वासी ल जोहार अउ बधाई।