बलौदाबाजार (छत्तीसगढ़ महिमा)। 1 अक्टूबर 2022, राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एम.के.राऊत ने जिला पंचायत के सभा कक्ष में कहा कि जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारियों के लिए आयोजित कार्यशाला में कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 सरकार के क्रिया कलापों को पारदर्शी बनाना है। आयोग यहां जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी को जागरूक करने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया है,जिसके तहत प्रशासन में पारदर्शिता लाना है। श्री राउत ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम आम जनता की भलाई के लिए बनाया गया है। नागरिकों को शासकीय योजनाओं, कार्यक्रमों और कार्यों के बारे में जानकारी हासिल करने का अधिकार है। इसलिए शासकीय कार्यों और कार्यक्रमों को विभागीय वेबसाईट में प्रदर्शित किया जाए,ताकि आम नागरिक को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाने की जरूरत ही ना पड़े। सूचना का अधिकार अधिनियम आम जनता की भलाई के लिए बनाया गया है। कार्यालय में संधारित जानकारी आवेदक के द्वारा मांगे जाने पर उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी जनसूचना अधिकारी की है। इस अवसर पर जिला पंचायत के मुख्य कार्यापालन अधिकारी गोपाल वर्मा, डीएसपी अभिषेक उपस्थित थे। राज्य सूचना आयुक्त अशोक अग्रवाल ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 आवेदक को समय सीमा में जानकारी देना जनसूचना अधिकारी का दायित्व है। जनसूचना अधिकारी जानकारी देने की समय - सीमा और शुल्क पर विशेष ध्यान रखें। आवेदक को समय - सीमा के भीतर जानकारी दें अन्यथा निर्धारित समय - सीमा 30 दिन के बाद आवेदक को निःशुल्क जानकारी देनी होगी।
आम जनता सरकार को कर अदा करती है। नागरिकों को शासकीय योजनाओं,कार्यक्रमों और कार्यों के बारे में जानकारी हासिल करने का अधिकार है, इसलिए शासकीय कार्यों और कार्यक्रमों को विभागीय वेबसाईट में प्रदर्शित किया जाए,ताकि आम नागरिक को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाने की जरूरत ही ना पड़े। उन्होंने कहा कि यदि आवेदक द्वारा चाही गई जानकारी आपके कार्यालय से संबंधित नहीं है, तो उसे संबंधित कार्यालय को 5 दिवस के भीतर अंतरित किया जाए। उन्होंने कहा कि आवेदक को जानकारी देते समय जनसूचना अधिकारी का नाम, पदनाम का भी स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए। साथ ही आवेदक को प्रथम अपीलीय अधिकारी का नाम और पदनाम की भी जानकारी दी जानी चाहिए। प्रथम अपीलीय अधिकारी को अपने आदेश का पालन कराने की जिम्मेदारी है ।
राज्य सूचना आयुक्त मनोज त्रिवेदी ने कहा कि हर नागरिक को जानने का मौलिक अधिकार है। सूचना का अधिकार अधिनियम सरकार के कार्यो को पारदर्शी बनाना है। इसमें पहली कड़ी जनसूचना अधिकारी हैं। इसलिए जनसूचना अधिकारी अधिनियम के तहत प्राप्त आवेदनों को स्वयं पढें, इससे गलती की संभावना कम होगी। इसमें जानकारी देने की समय - सीमा और शुल्क पर विशेष ध्यान रखें। आवेदक को समय - सीमा के भीतर जानकारी दें अन्यथा निर्धारित समय - सीमा 30 दिन के बाद आवेदक को निःशुल्क जानकारी देनी होगी। जनसूचना अधिकारी को 5 के भीतर आवेदन को दिवस
राज्य सूचना आयोग के आयुक्त धनवेन्द्र जायसवाल ने कहा कि जनसूचना अधिकारी अपना दायित्व का निर्वहन करते हुए समय सीमा में जानकारी उपलब्ध कराएं। कार्यशाला में स्पष्ट किया कि सूचना आयोग को जनसूचना अधिकारी पर ना केवल जुर्माना लगाने का अधिकार है, बल्कि आवेदक को क्षतिपूर्ति राशि देने के लिए आदेश पारित करने का भी अधिकार है। यह क्षति पूर्ति राशि लोक प्राधिकारी द्वारा जनसूचना अधिकारी से वसूल कर आवेदक को दिए जाने का प्रावधान अधिनियम में है,इसलिए जनसूचना अधिकारी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार आवेदक को सूचना उपलब्ध कराएं। संयुक्त संचालक छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग धनंजय राठौर ने कहा कि जनसूचना अधिकारी अधिनियम के तहत प्राप्त आवेदनों को स्वयं पढ़े,इससे गलती की संभावना कम होगी। जनसूचना अधिकारी को पूर्वाग्रह से भी बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि आवेदक द्वारा चाही गई जानकारी आपके कार्यालय से संबंधित नहीं है, तो उसे संबंधित कार्यालय को 5 दिवस के भीतर अंतरित किया जाए। आवेदन पत्र में एक से अधिक विषय की जानकारी चाही गई है,तो केवल एक विषय की जानकारी आवेदक को दी जा सकती है। इसी तरह सशुल्क जानकारी देने की स्थिति पर शुल्क की गणना भी आवेदक को दी जाए और आवेदक द्वारा शुल्क जमा करने के पश्चात् ही वांछित जानकारी की फोटो कॉपी कराई जाकर उपलब्ध कराया जाए। जन सूचना अधिकारी अधिनियम के नियमों और उनकी बारीकियों को समझ सकें,इसलिए राज्य सूचना आयोग ने कार्यशाला का आयोजन किया है। यह कार्यशाला जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारियां के लिए उपयोगी साबित होगा। कार्यशाला में राज्य सूचना आयुक्तगणों ने जनसूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय अधिकारी के प्रश्नों और शंकाओं का समाधान किया। एक दिवसीय कार्यशाला में जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।