छत्तीसगढ़ महिमा राजिम। 31 जुलाई 2022, छत्तीसगढ़ के महान संत शिरोमणि गुरू घासीदास बाबा जी के उपदेश,बोध कथाओं और उनकी अमृतवाणियों के जानकार पं.मिलऊ दास कोसरिया ग्राम कौंदकेरा विकास खंड राजिम जिला गरियाबंद के निवासी थें। वे सत्संग प्रवचन के लिए पुरे राजिम परिक्षेत्र में प्रसिद्ध हो चुके थे। चमसुर निवासी पं.सुन्दरलाल शर्मा आपसे प्रभावित हो कर संत गुरू घासीदास बाबा जी व सतनाम संस्कृति को जाने - समझे। तथा सतनामियों के साथ सत - संगत करने लगें। दोनों में धार्मिक सद्भाव व समझ के चलते ही गहरी मित्रता रही। इस बीच देश में चल रहे स्वतंत्रता आन्दोलन में दोनो सम्मलित होने रायपुर अन्य जगहों पर आने - जाने लगे। जंगल सत्याग्रह का नेतृत्व पं.कोसरिया ने किया और अपने साथ अनेक सहयोगियों को राष्ट्र सेवा में संलग्न किए। बलौदाबाजार - भाटापारा परिक्षेत्र में सतनामियों का महंत नयन दास महिलांग द्वारा आरंभ गौ रक्षा आन्दोलन से पुरे देश भर में चर्चित रहा। पं.मिलऊ दास को उनकी जानकारी और उन आन्दोलन कारियों से संपर्क रहा है। कलान्तर में गुरु अगमदास गोसाई व महंत नयन दास महिलांग सहित अनेक संत - महंत से उन्होने पं.सुन्दर लाल शर्मा का परिचय करवाया। उन सबसे मिल कर पं.शर्मा सतनाम संस्कृति से बहुत गहराई से प्रभावित हुआ और वे "सतनामी पुराण" की रचना 1907 में की। आगे चलकर 1921 मे सतनामी आश्रम और कटोरी प्रथा चलाकर सतनामी स्कूल / छात्रावास भी अमीन पारा बुढापारा पुरानी बस्ती रायपुर से आरंभ किए गए।
भारतीय कांग्रेस पार्टी से जुड़कर उनके राष्ट्रीय कार्यक्रम में सहभागिता निभाने लगे। इस बीच वे राजिम मंदिर में सतनामियों सहित वंचित वर्गों के सुत ,सारथी, गाड़ा घसिया,कहार,महार आदि समुदाय को एकत्रित कर मंदिर प्रवेश का ऐतिहासिक कार्यक्रम चलाया।
कहते है कि कट्टर पंथियों के विरोध और रैली बहिष्कार से शासन- प्रशासन चाक- चौबंद हो गये। मंदिर प्रवेश के बहाने अंग्रेजी सत्ता के विरुद्ध अभियान समझ सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने का आरोप लगा कर प्रशासनिक प्रतिरोध पैदा किए गए। फलस्वरुप राजिम लोचन परिसर में स्थित राम जानकी मंदिर में प्रवेश कर कार्यक्रम सम्पन्न किए गए।
इनसे इन दोनो की ख्याति सर्वत्र फैल गई। फलस्वरुप रायपुर की एक सभा मे महात्मा गांधी ने सुन्दर लाल शर्मा को अपना गुरु माना -
गांधी ले पहिली सुन्दर लाल करिस शुरु
भरे सभा उन ल उन ल मानिस अपन गुरु
एक तरफ पं.सुन्दर लाल शर्मा को उनके समाज वाले बहिष्कृत कर दिए। तो दूसरे तरफ कट्टर पंथ जहरिया सतनामी मंदिर मूर्ति पूजा पर पं मिलाऊ दास कोसरिया जी को भी समाज दंडित किए गए। फिर भी दोनो मित्र आजीवन देश व समाज सेवा में जुड़ कर सामाजिक सद्भाव और स्वतंत्रता आन्दोलन व सभा सोसायटी में सक्रिय रहें। ऐसे साहसी शूरवीर और समाज व देश सेवा के सर्वस्व समर्पित रहने वाले इस मनीषी को सादर नमन।
चित्र - पं.मिलऊ दास कोसरिया की प्रतिमा कौंदकेरा राजिम। डा.अनिल कुमार भतपहरी रायपुर की ओर से सारगर्भित जानकारी दी गई