
जांजगीर (छत्तीसगढ़ महिमा)। 04 मई 2024,
जांजगीर - चांपा जिला अस्पताल में पर्याप्त संसाधन होने के बाद भी स्टाफ के मनमाने रवैये के चलते ईलाज कराने पहुंचे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यहां मरीजों को ईलाज के बजाय दर्द मिल रहा है। गत दिनों सोमवार को ओपीडी निर्धारित समय में अस्पताल के 35 डाक्टरों में से मात्र 05 डाक्टर ही ड्यूटी पर पहुंचे थे। डाक्टरों के चैंबर की कुर्सियां खाली थी। जबकि बड़ी संख्या में मरीज डाक्टरों का इंतजार करते बैठे रहें । ग्राम अमोरा की एक गर्भवती महिला सोनोग्राफी के लिए कक्ष के सामने बैठी थी मगर 10 बजे तक डाक्टर नहीं पहुंचे थे। इधर बैठे - बैठे उसकी स्थिति निरंतर बिगड़ती जा रही थी। इसी तरह शिशु रोग विशेषज्ञ कक्ष के सामने भी एक दंपति अपने बच्चे का इलाज कराने के लिए डाक्टर का इंतजार करते बैठे थे। ओपीडी का समय सुबह 9 बजे से है मगर सुबह 11 बजे तक डाक्टर अस्पताल नहीं पहुंचे थे।
जिला अस्पताल की सुविधाओं में विस्तार होने के बाद यहां उपचार कराने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है। अस्पताल में सभी विशेषज्ञ चिकित्सकों की पदस्थापना किए गए है। ताकि मरीजों को लाभ मिल सके। मगर दो से ढाई लाख रूपये महीने का वेतन लेने वाले डाक्टर अपने कर्तव्य के प्रति गंभीर नहीं है। उनके मनमाने रवैये के कारण मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मगर इससे जिला प्रशासन को कोई सरोकार नहीं है। नवागढ़ ब्लाक के ग्राम अमोरा की एक गर्भवती महिला देवकुमारी केंवट को डिलिवरी के लिए भर्ती कराया गया। स्त्री रोग विशेषज्ञ ने सोनोग्राफी कराने की सलाह दी। जिसके बाद वह दो दिन से सोनोग्राफी के लिए अस्पताल के सोनोग्राफी सेंटर का चक्कर काटती रही। सोमवार को भी वह ओपीडी के सोनोग्राफी सेंटर कक्ष के सामने सुबह 9 बजे से डाक्टर के आने का इंतजार करती बैठी थी। मगर 11 बजे तक डाक्टर नहीं पहुंचे थे। डाक्टर का इंतजार करते हुए उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। वह आर्थिक रूप से इतनी कमजोर है कि वह निजी सोनाग्राफी सेंटर में जा नहीं सकती। इसी तरह शिशु रोग विशेषज्ञ कक्ष के सामने भी एक दंपति अपने बच्चे का इलाज कराने के लिए डाक्टर का इंतजार करते बैठे थे। एक परिवार का बच्चा दर्द में फर्श पर लेटा हुआ था। डाक्टरों के चेम्बर के सामने बैठ कर मरीजों का भीषण गर्मी में पसीना छूट रहा था,मगर डाक्टरों का चेम्बर खाली था। सुबह ओपीडी के समय में 10 बजे तक केवल 05 चिकित्सक केंसर रोग के डा.पटेल, एमडी मेडिसिन डा.खांडा, ईएनटी विभाग की डा.कश्यप,हड्डी रोग डा.चौहान ही अपने चेम्बर में पहुंचे थे। ओपीडी का समय सुबह 9 बजे से है। जबकि 30 अन्य डाक्टर सुबह 11 बजे तक अस्पताल नहीं पहुंचे थे। सभी डाक्टरों के चेम्बर के सामने मरीजों की लाइन लगा था। जो डाक्टरों के आने का इंतजार कर रहे थे।
डाक्टरों का सेवा भावना हो रहा गायब
पहले डाक्टरों का काम सेवा भावना ही रहता था।
दिन हो या रात डाक्टर हमेशा सेवा भावना से मरीजों का इलाज करते थे। लेकिन अब वह सेवा भावना पूर्ण रूप से खत्म होते जा रहा है। अब डाक्टर केवल अपनी जेब भरने में लगे हुए है। उसको सरकार द्वारा दी जा रही पैसा बहुत कम पड जा रहा है। इसलिए अन्य क्लिनीक खोल कर उसमें पूरे समय अपनी सेवा दे रहे है। जिला अस्पताल के अधिकांश डाक्टरों का अपना निजी क्लीनिक है। जिसमें इन डाक्टरों को हमेशा देखा जा सकता है।
जांच रिपोर्ट के लिए भटकते रहते हैं मरीजों के परिजन
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला अस्पताल पहुंचे मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए लाखों रूपये की लागत से बायो कैमिस्ट्री मशीन की खरीदी किए गए है। ताकि अस्पताल पहुंचे शुगर,किडनी,लीवर सहित अन्य संबंधी बीमारियों की सही रिपोर्ट व शीघ्र मिल सके। मगर स्टाप के मनमाने रवैये के चलते लाखों रूपये की लागत से खरीदी गई मशीन अनुपयोगी होने लगी है। यहां स्टाफ द्वारा बायो कैमिस्ट्री मशीन नहीं किया जाता और उन्हें बाहर से जांच कराने की सलाह दे दी जाती है। ऐसे में यहां स्टाफ के मनमाने रवैये के चलते उन्हें बाहर के लैब में जाकर रिपोर्ट के लिए 500 से 1000 रूपये खर्च करना पड़ रहा है।
मनमाने ढंग से हो रहा लैब का संचालन
जिला अस्पताल में ओपीडी का संचालन सुबह व शाम किया जाता है। लैब सुबह 9 बजे से संचालित किया जाना है मगर काम काज 10 बजे के बाद ही शुरू होता है। स्टाफ के मनमाने रवैये के चलते रिपोर्ट समय पर नहीं मिल पाती है। दोपहर 1 बजे ओपीडी का समय समाप्त हो जाता है जबकि रिपोर्ट उसके बाद दी जाती है तब तक डाक्टर चले जाते हैं। ऐसे में रिपोर्ट दिखाने के लिए फिर दूसरे दिन आना पडता है। अवकाश होने पर रिपोर्ट के लिए एक से दो दिनों तक लैब का चक्कर काटना पड़ जाता है। स्टाफ के मनमाने रवैये के चलते लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। स्टाफ के मनमाने रवैये के चलते लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।