संत गुरू घासीदास बाबा जी के जन्म कर्म भूमि गिरौदपुरी में विकास की मांग किए जाते रहे हैं।
प्रेस छत्तीसगढ़ महिमा बलौदाबाजार। 25 अक्टूबर 2021, छत्तीसगढ़ के महान संत शिरोमणि गुरू घासीदास बाबा जी की जन्म,कर्म, तपो, महिमा, दर्शन भूमि गिरौदपुरी धाम में भारत की राजधानी दिल्ली के कुतुंबमीनार से भी ऊंचा विश्व का सबसे ऊंचा जैतखाम का निर्माण के पश्चात छत्तीसगढ़ में आकर्षण का जन आस्था और विश्वास का केंद्र बिंदु बना हुआ है। प्रतिदिन हजारो की संख्या में संत श्रद्धालु दर्शनार्थी पर्यटक गण गिरौदपुरी धाम में दर्शन के लिए आवागमन करते रहते
है। प्रायः यह देखा जाता है कि भारत देश के आलावा अन्य देश विदेशों में जितने भी पर्यटन स्थल है उसमे पर्यटन के स्थल उद्भव विकास के महत्वपूर्ण जानकारी शिलालेखों अथवा बोर्ड में स्थानीय भाषा, हिंदी, अंग्रेजी भाषा में लिखा रहता है। जिससे वहां पहुंचने वाले पर्यटक को समझ में आता है कि अमुख स्थल इसलिए प्रसिद्ध है वैसे ही गिरौदपुरी धाम के प्रत्येक स्थान में बोर्ड में अंकित कर वहां की महत्ता को प्रदर्शित करने की जरूरत है। जैसे संत गुरू घासीदास बाबा जी के जन्म स्थल में उनके जन्म से लेकर परिवार की सम्पूर्ण जानकारी का उल्लेख हो। चरणकुंड, अमृत कुंड, पंचकुंडी, छाता पहाड़, जोंक नदी, सफुरा माता तालाब समाधी स्थान का महत्त्व एवं संत शिरोमणि गुरू घासीदास बाबा जी की 7 सिद्धांत एवं 42 अमृत वाणियो को प्रकशित की जानी चाहिए। इससे गिरौदपुरी धाम में पहले आवागमन करने वाले लोगों को गिरौदपुरी धाम के सभी स्थल की विस्तृत रूप से जानकारी प्राप्त होंगे। इसके अतिरिक्त विदेशी सैलानी भी गिरौदपुरी धाम गुरू दर्शन के लिए पहुंचते है, उन्हें भी पूर्ण जानकारी होगी क्योकि भारत के हर धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों में गाइड उपलब्ध रहता है जो पूरी जानकारी पर्यटक को देता है। ऐसे व्यवस्था छत्तीसगढ़ सरकार को करना चाहिए। गिरौदपुरी धाम की विकास को लेकर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनते ही प्रत्येक वर्ष की बजट में गिरौदपुरी धाम की विकास कार्यों के लिए 2 करोड़ रूपए स्वीकृत करने की घोषणा किया था। जिसके पहल में स्थानीय बिलाईगढ़ विधायक एवं संसदीय सचिव चंद्रदेव प्रसाद राय और जिला बलौदाबाजार कलेक्टर ने प्रोजेक्ट बना कर शासन के समक्ष प्रस्तुत किए हैं पर्यटन मंडल को पर वहां बजट नहीं होने से निर्माण विकास कार्य लंबित पड़ा हुआ हैं। सतनामी समाज छत्तीसगढ़ शासन से अनुरोध करता है कि गिरौदपुरी का विकसित हो उच्च स्तरीय सुविधा जिसमे गार्डन, ओपन जिम, सुलभ शौचालय, स्नानागार , जोंक नदी के पास पचरी के साथ स्टाप डेम, करुणा माता जलाशय से चरण कुण्ड तक पहुंच मार्ग, करुणा माता जलाशय की सौंदर्यकरण, अमत कुण्ड धाम पास सत्संग भवन धर्मशाला निर्माण, नवीन जोड़ा जैतखाम, सतलोक कुण्ड निर्माण, सौंदर्यकरण कार्य, अमृत कुण्ड से बघुवा मांडा होते हुए तिराहा चौंक पांच कुण्ड छाता पहाड़ मार्ग तक सीढ़ी व कांक्रीटीकरण रोड निर्माण, और नवीन जैतखाम बाउंड्री अंदर सौंदर्यकरण, गार्डन, जुग्गी झोपड़ी बना कर फल फूल पूजा सामग्री की दुकानें को पक्की भवन बना सुसज्जित किए जाएं, विद्युतीकरण व स्वच्छता सर्व सुविधा युक्त इत्यादि मूलभूत सुविधाओं निर्माण विकास कार्य कराए जाएं। संत शिरोमणि गुरू घासीदास बाबा जी के 7 सिद्धांत को ऊपर छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा साक्षात्कार में सतनामी समाज के उम्मीदवार होने के कारण उन्हें प्रश्न पूछा गया था परन्तु जानकारी के अभाव में उम्मीदवार निरुत्तर रह गई और उनका चयन पी एस सी में नहीं हो पाया यह वाक्य की जानकारी बिलासपुर में उनके पिता जी द्वारा अवगत कराया गया। यह बात सत्य है कि हम गिरौदपुरी धाम जाते है केवल गुरु दर्शन लाभ के अलावा हमको कोई लिखित ज्ञान साहित्य की जानकारी शिला लेख अंकित नहीं होने के कारण मिल नहीं पाता है, हम सबको चाहिए कि इस दिशा में सभी सामाजिक संगठन विचार करे अपने स्तर में सब लोग प्रयास करें तो निश्चित रूप से हर अनजान व्यक्ति को संत शिरोमणि गुरू घासीदास बाबा जी के सिद्धांत और उनके अमृत वाणी की जानकारी प्राप्त हो सकेगा। गिरौदपुरी धाम की विकास कार्यों को लेकर विशेष पहल करने विभिन्न सामाजिक संगठन और प्रबुद्ध जीवी सामाजिक कार्यकर्ता लेखक चिंतकों द्वारा समय वर निरंतर मांग किया जाता रहा हैं। पर छत्तीसगढ़ राज्य में सबसे बड़ा विशाल संत समागम गुरू दर्शन मेला आयोजन होता रहा हैं इसके बाद भी आज नाम मात्र घोषणा कर सरकार अपना श्रेय ले उपेक्षा करते रहे हैं।
खबरे सोशल इलेक्ट्रानिक प्रिंट मीडिया की सुर्खियों में आते रहते हैं, किसी भी संत श्रद्धालुओं दर्शनार्थियों पर्यटकों और आम जनता लोगों से भी नहीं छिपी हैं गिरौदपुरी धाम की बदहाल स्थिति। गिरौदपुरी धाम की बारे में किनसे समस्याओं असुविधाओं को लेकर अवगत कराते हुए अपनी मांग उनके पास रख उन्हें पूर्ण रूप से सर्व सुविधा युक्त विकसित कराएं। चिंता का विषय बना हुआ हैं आजादी की 75 वें वर्ष बाद भी गिरौदपुरी धाम की विकास पिछड़ा हुआ हैं और आज कल के छोटे से अन्य पर्यटन स्थल शीघ्र विकसित हो जा रहे हैं।
जबकि छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ा विशाल संत समागम गुरू दर्शन मेला वर्ष में दो बार भरता है और प्रतिदिन हजारों लोगों की गुरू दर्शन करने आवागमन होता रहता हैं। जिनके ख्याल नहीं रख गिरौदपुरी धाम पहुंच मुख्य मार्ग जर्जर हालत में तब्दील हो कर अपना हाल बयां कर रहे हैं। जन प्रतिनिधि जिम्मेदार लोग वहां से ही होते हुए गुजर रहे होते हुए भी उन्हे कोई फर्क नहीं पड़ता हैं।
विकास कार्यों में गिरौदपुरी धाम आज अछूता क्यों है आम जनता की जुबां पर एक सवाल बन कर रह गई है।